ओम नमः शिवाय
एक बार एक ऋषि ने अपने शिष्य से कहा कि वह एक रेंगते हुए कीड़े से ‘ओम नमः शिवाय’ कहे| शिष्य ने ऐसा ही कहा| कीड़ा अदृश्य हो गया और उसकी जगह केंचुआ दिखने लगा|
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फिर ऋषि ने शिष्य से कहा की उन्हीं शब्दों को वह केंचुए से भी कहे| शिष्य केंचुये के पास गया और बोला, ‘ओम नमः शिवाय’| केंचुआ अदृश्य हो गया और वहाँ तितली उड़ने लगी|
फिर ऋषि ने तितली से भी भी वही शब्द कहने के लिए शिष्य से कहा| शिष्य ने वैसा कहा और वह तितली गौरैया में बदल गयी| जब गौरैया ने ‘ओम नमः शिवाय ‘ को सुना, तब एक हिरण सामने आ गया|
शिष्य ने सोचा कि कम से कम उसने चार जीवों की हत्या कर दी, किन्तु ऋषि ने समझाया कि केंचुआ तितली के रूप में नया शरीर पा गया| उसी तरह अन्य के साथ भी हुआ| अंतिम हिरण है, जो गौरैया था|
ऋषि ने कहा, “ओम नमः शिवाय’ का ही पवित्र और दैवी प्रभाव है, जिसने उन्हें नया शरीर और नया जीवन| शरीर महत्वपूर्ण नहीं है, शुद्धिकरण महत्वपूर्ण है|”