नया वसंत
एक आदमी था| वह जीवन से बड़ा निराश हो गया था| हर घड़ी उदास रहता था, उसे लगता था कि वह दुनिया में अकेला है| उसे कोई प्यार नहीं करता|
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वसंत का मौसम आया|
तरह-तरह के फूल खिल उठे| उनकी महक से चारों ओर आनंद छा गया, लेकिन वह आदमी अपने कमरे में ही बंद रहा|
एक दिन अचानक एक लड़की उसके कमरे के किवाड़ खोलकर अंदर आई| उस आदमी को गुमसुम देखकर सहम उठी| बोली – “आप इतने उदास क्यों हैं?”
आदमी ने कहा – “मुझे कोई प्यार नहीं करता| मैं इस दुनिया में अकेला हूं|”
लड़की ने कहा – “यह तो बड़ी बुरी बात है कि आपको कोई प्यार नहीं करता पर यह बताइए कि आप किस-किसको प्यार करते हो?”
आदमी ने कोई जवाब नहीं दिया|
लड़की बोली – “आप बाहर आइए| देखिए आपके दरवाजे पर कितना प्यार बिखरा पड़ा है| आप चाहें तो भर-भर हाथों बटोर सकते हैं|”
इतना कहकर उस लड़की ने उस आदमी का हाथ पकड़ा और कमरे के बाहर लाकर हंसते-हंसते फूलों के बीच उसे लाकर खड़ा कर दिया|
वह बोली – “आप प्यार चाहते हैं| लीजिए, जितना चाहिए, इनसे ले लीजिए| देखिए, ये कितने बढ़िया साथी हैं| खुशी-खुशी प्यार देते हैं, पर बदला नहीं चाहते| क्यों है न?”
इन शब्दों को सुनकर उस आदमी का जैसे नया जन्म हो गया|
उसके मन की गांठ खुल गई| जीवन में वसंत हिलोरें लेने लगा| उसके जीवन में एक नए वसंत का जन्म हुआ था|