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मेहनत की कमाई

एक बार की बात है, एक धनी पिता ने अपने नालायक बेटे से कहा- “आज कुछ अपनी मेहनत से कमाकर लाओ, नहीं तो शाम को खाना नहीं मिलेगा|”

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लड़का बेहद आलसी और कमजोर था| वह अपनी माँ के पास गया और रोने लगा| उसका रोना देखकर माँ व्याकुल हो उठी| उसने अपना बटुआ खोलकर एक रुपया बेटे को दे दिया|

रात को पिता ने बेटे से पूछा- “दिन में क्या कमाया?” लड़के ने पिता को जेब से एक रुपये का सिक्का निकालकर दे दिया| पिता ने कहा- “जा, इसे पड़ोस के कुएँ में फेंक आ|” लड़के ने बड़ी फुर्ती से पिता की आज्ञा पूरी कर दी|”

पिता अनुभवी थे| वह सारा हाल जान गए| उन्होंने लड़के की माँ को उसके मैके भिजवा दिया| अगले दिन लड़के को फिर बुलाया और कहा- “जाओ| आज कुछ कमाकर लाओ, शाम को खाना तभी मिलेगा|” लड़का अपनी बहन के पास जाकर रोने लगा| बहन को तरस आ गया| उसने अपनी गुल्लक खोलकर एक रुपये का सिक्का भाई को दे दिया| पिता द्वारा रात को पूछे जाने पर कि दिन में क्या कमाया, उसने जेब से एक रुपया निकालकर दिखा दिया| पिता ने कहा- “इसे भी कुएँ में डाल आओ|” लड़का पहले की तरह ही जल्दी से गया और सिक्के को कुएँ में फेंक आया| अनुभवी पिता जान गए| उन्होंने लड़के की बहन को भी उसकी ससुराल भेज दिया और लड़के से मेहनत की कमाई लाने के लिए कहा| लड़का परेशान रहा| उस दिन उसकी परेशानी से कोई नहीं पिघला| वह बाज़ार में शाम के समय मजदूरी ढूँढने लगा| बहुत प्रयास करने पर एक सेठ ने भारी बोझ उठाने के लिए कहा| बदले में उसे चार आने देने को कहा| बोझ से लड़के की कमर लचक गई| पसीने से वह तर-ब-तर हो गया| दुकान पर पहुँचकर सेठ ने उसे चवन्नी दी|

रात को पिता ने पूछा- “दिनभर में आज तूने क्या कमाई की?”

लड़के ने जेब से चवन्नी निकालकर पिता को दिखाई| पिता ने कहा- “इसे भी कुएँ में फेंक दो|” लड़के ने गुस्से से उत्तर दिया- “मेरी तो कमर लचक गई, आप कहते हैं- इस चवन्नी को कुएँ में फेंक दो|”

पिता ने लड़के को सीख दी- “देखा, मेहनत की कमाई का दर्द कैसा होता है|” फिर अनुभवी पिता ने लड़के की पीठ थपथपाई और उसे छाती से लगा लिया| उसके बाद अपनी दुकान का कारोबार उसे ही सौंप दिया| किसी ने सच ही कहा है कि मेहनत से कमाया हुआ धन हर व्यक्ति सोच-समझकर ही खर्च करता है|