मालिक की सुखद वापसी
अपने प्रिय नौकर को स्टेशन पर देखकर मालिक प्रसन्न हो गया| नौकर उन्हें लेने आया था|
“मालिक की सुखद वापसी” सुनने के लिए Play Button क्लिक करें | Listen Audio
“घर पर सब कुशल है न?”
“हाँ मालिक, सब कुछ कुशल है, केवल आपका प्यारा कुत्ता पन्द्रह दिनों पूर्व मर गया|”
“हाय! कसे मर वह?”
“आपके तगड़े घोड़े की हड्डी उसके गले में अटक गयी, कुत्ता मर गया|”
“मेरे घोड़े की हड्डी उसे कैसे मिल सकती है? क्या घोड़ा मर गया?
“घोड़े को भरपेट भोजन नहीं मिला| घर में दाना था ही नहीं|”
“दाना को क्या हुआ?”
“आपकी चिता जलाने में सब खर्च हो गया|”
“हाय! क्या मेरी माँ मर गयी? वह कैसे मरी?”
“अपने इकलौते पोते की मृत्यु वह सहन न कर सकी|”
“हाय! क्या मेरा बेटा भी मर गया?”
“जी, वह तब मरा, जब आपका घर गिरा|”
“क्या मेरा घर भी गिर गया?”
“पेट्रोल छिडककर जब आपकी पत्नी ने आत्महत्या की, तब छत लड़के पर ही गिर गयी|”
“हाय! मैं बरबाद हो गया| मेरे सभी सगे मर गये| फिर भी तुम कहते हो कि सब कुशल है|”
“जी मालिक, बाकी सब कुशल है|”
यह सुनकर मालिक बेहोश होकर गिर पड़ा|