Homeशिक्षाप्रद कथाएँमैं तुम्हें केवल भय दे सका

मैं तुम्हें केवल भय दे सका

मैं तुम्हें केवल भय दे सका

महात्मा बुद्ध किसी उपवन में विश्राम कर रहे थे। तभी बच्चों का एक झुंड आया और पेड़ पर पत्थर मारकर आम गिराने लगा।

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एक पत्थर बुद्ध के सिर पर लगा और उससे खून बहने लगा। बुद्ध की आंखों में आंसू आ गए। बच्चों ने देखा तो भयभीत हो गए।

उन्हें लगा कि अब बुद्ध उन्हें भला-बुरा कहेंगे। बच्चों ने उनके चरण पकड़ लिए और उनसे क्षमायाचना करने लगे। उनमें से एक ने कहा, ‘हमसे भारी भूल हो गई है। हमने आपको मारकर रुला दिया।’ इस पर बुद्ध ने कहा, ‘बच्चों, मैं इसलिए दुखी हूं कि तुम ने आम के पेड़ पर पत्थर मारा तो पेड़ ने बदले में तुम्हें मीठे फल दिए, लेकिन मुझे मारने पर मैं तुम्हें केवल भय दे सका।’

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