महर्षि च्यवन युवा बने
वृद्ध और अंधे महर्षि च्यवन ने अपनी युवा पत्नी सुकन्या से कहा, “तुम युवा हो और एक लम्बा जीवन तुम्हारे सामने है| तुम किसी युवक से विवाह कर लो|”
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“सौ बार से अधिक आपने यह बात मुझसे कही है| सबके समक्ष धर्मानुसार आपसे मेरा विवाह-संस्कार हुआ है| आपकी सेवा करना मेरा धर्म और व्रत दोनों है|” सुकन्या ने उत्तर दिया|
वे नहीं जानते थे कि देवताओं के वैद्य दोनों अश्विनीकुमार उनकी बाते सुन रहे थे| वे उनके सामने आये और वरदान देते हुए बोले, “भद्रे, हम महर्षि को युवा बनायेंगे|”
वे बूढ़े महर्षि को एक पवित्र नदी तक ले गये तथा महर्षि पर आयुर्वेदिक दवाओं की मालिश करते और नदी में स्नान कराते| सन्ध्या पूर्व जब वे तीनों नदी से बाहर आये तब एक-से अनेक युवा थे| सुकन्या महर्षि को पहचान न पायी| उसने प्रार्थना की| देव वैद्य अश्विनीकुमार अलग हट गये और सुकन्या को आशीष दिया| सुकन्या के साथ महर्षि च्यवन लम्बे काल तक जीवित रहे और च्यवनप्राश सहित अनेक दवाईयों का आविष्कार किया|