लालच का नतीजा
किसी नगर में ब्राह्मणों के चार लड़के रहते थे| वे चारों ही बड़े गरीब थे| उनमें आपस में गहरी मित्रता थी| अपनी गरीबी दूर करने के लिए उन्होंने बहुत-से उपाय किए, लेकिन उनका कष्ट दूर नहीं हुआ| आखिर परेशान होकर उन चारों ने निश्चय किया कि और कहीं जाकर उन्हें धनोपार्जन का प्रयत्न करना चाहिए|
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वे चारों नगर छोड़कर चल दिए| चलते-चलते वे एक नदी के किनारे पहुंचे| वहां उन्हें एक साधु मिला| उन्हें दुखी देखकर साधु ने कारण पूछा| उन्होंने अपनी परेशानी साधु को बताई| सुनकर साधु ने कहा – “मैं तुम्हें चार दीपक देता हूं| एक-एक दीपक हाथ में लेकर जाओ| जहां दीपक गिरे, वहीं रुककर खुदाई करना| तुम लोगों को बहुत बड़ी दौलत मिल जाएगी और फिर दौलत लेकर लौट आना|
दीपक लेकर चारों चल दिए| थोड़ी दूर जाने पर उनमें से एक का दीपक गिर गया| उसने रुककर खोदा तो वहां पर तांबे की खान निकली| उसने अपने साथियों से कहा – “जितना तांबा चाहो, ले लो|” लेकिन वे बोले – “इससे हमारी गरीबी दूर नहीं होगी आगे और भी कीमती चीजें मिलेंगी|”
इतना कहकर वे चल दिए, कुछ दूर निकलते ही दूसरे का दीपक गिर गया| वहां खोदा तो चांदी की खान निकली|
दूसरे साथी ने बाकी दो से कहा – “लो चादी ले लो|” पर वे नहीं माने| बोले – “हम आगे जाएंगे| वहां सोने की खान मिलगी|”
कुछ आगे चले ही थे कि तीसरे का दीपक गिरा| खोदा तो सचमुच सोने की खान निकली| तीसरे ने चौथे से रुकने को कहा तो उसने वही बात कह दी, जो पहले दो ने कही थी और अकेला दौलत के लालच में आगे बढ़ चला|
काफी कदम चलने पर उसे एक आदमी मिला| उसके माथे पर एक चक्र घूम रहा था और उसका बदन खून से तर-ब-तर हो रहा था|
चौथे साथी ने उसके पास जाकर पूछा – “तुम कौन हो तुम्हारे माथे पर यह चक्र कैसे घूम रहा है?”
उसका इतना कहना था कि उस आदमी के माथे से चक्र उछलकर पूछने वाले के माथे पर लग गया और लगा चक्कर काटने|
पहले चक्रधारी ने कहा – “यह चक्र किसी दूसरे के माथे से उतरकर इसी तरह मेरे माथे पर लग गया था| अब यह तब उतरेगा जब मेरी और तुम्हारी तरह धन का कोई लोभी यहां आकर तुमसे बात करेगा|”
“लेकिन मेरे खाने-पीने का क्या होगा?” नए चक्रधारी ने रुंधे गले से पूछा|
उस आदमी ने जवाब दिया – “यह चक्र उन लोगों के लिए है, जो धन के बेहद लोभी हैं| इस चक्र के लगते ही भूख-प्यास, नींद सब गायब हो जाती है| कोई हैरानी नहीं होती| बस इस चक्र के घूमने का कष्ट रहता है| इस तरह यह अनंत काल तक सताता रहता है|”
इतना कहकर वह आदमी तो चला गया, लेकिन धन का लोभी ब्राह्मण का वह लड़का जाने कब तक खून से लथपथ होकर उस दुख को भोगता रहा|