कुत्ते की भूल
एक कुत्ते को पक्षियों के अंडे खा जाने का अभ्यास हो गया| वह खेत की मेड़ों और नदी के किनारे घुमा करता और टिटिहरी के अंडे देखते ही खा जाया करता था| नदी-किनारे की रेत में वह कछुए के अंडे ढूँढ़ा करता था|
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एक दिन रेट में पड़ा एक घोंघा कुत्ते ने देखा| उसे भी कोई अंडा समझकर वह झटपट निगल गया| घोंघे की सीप के टुकड़े कुत्ते के पेट में जाकर उसकी आँतों में चुभने लगे| वह दर्द के मारे छटपटाने लगा| अब वह रोता-रोता कहने लगा-‘मुझे बड़ी भूल हुई| अब मैं समझा कि सब गोल वस्तुएँ अंडा नहीं होतीं|
जो नासमझ लड़के बिना जाने कोई भी वस्तु मुँह में डाल लेते हैं, उन्हें इसी प्रकार कष्ट होता है| इसलिये जबतक यह न जान लो कि वस्तु खाने योग्य है या नहीं, उसे मुख में मत डालो|