खाना कैसा चाहिए
दो मित्र थे, एक का नाम था अशोक और दूसरे का नाम पुनीत| एक दिन अशोक ने पुनीत को अपने घर खाना खाने बुलाया| उसने तरह-तरह की बढिया चीजें बनवाईं| पूड़ी-कचौड़ी, खीर आदि-आदि| जब दोनों खाना खा चुके तो अशोक ने पूछा – “पुनीत, खाना कैसा लगा?”
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पुनीत चुप रहा तो अशोक ने कहा – “क्यों खाना पसंद नहीं आया?”
पुनीत बोला – “कल तुम मेरे यहां खाना खाने आना| तब मैं तुम्हारी बात का जवाब दूंगा|
अगले दिन अशोक पुनीत के यहां खाना खाने गया| पुनीत ने बड़ा सादा खाना बनवाया था| दोनों मित्रों ने खाना खाया| खाने के बाद अशोक ने कहा – “तुम आज मेरे सवाल का जवाब देने वाले थे?”
पुनीत बोला – “जवाब तो तुम्हें मिल गया| तुम्हारे यहां खाना खाने के बाद मुझे एक घण्टे सोना पड़ा था| मेरे यहां खाकर अब तुम सीधे काम पर जाओ और मौज से काम करो|”
अब अशोक ने समझा कि काम करने वाले आदमी के लिए किस तरह का खाना चाहिए|