कलाकर की परख (बादशाह अकबर और बीरबल)
अकबर के दरबार में कलाकारों, विद्वानों तथा अपने-अपने क्षेत्र में माहिर लोगों की कद्र की जाती थी| जब भी ऐसा कोई व्यक्ति दरबार में आकर अपनी कला का प्रदर्शन करता, राजा उसे भारी इनाम देकर खुश कर देते थे|
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एक दिन उनके दरबार में ऐसा कलाकार पहुंचा, जो दूसरों की हूबहू नकल उतारने में माहिर था| उसने अपनी कलाकारी दिखानी शुरू की| परदे के पीछे बैठी रानियों को उसके करतब देखकर बड़ा मजा आ रहा था| वह अपनी कला में पूरी तरह माहिर था, उसकी अदाएं लाजवाब थीं| अंत में उसने बैल की नकल उतारी, जो इतनी शानदार थी कि सारा दरबार हंसते-हंसते लोटपोट हो गया|
वहां खड़ा एक लड़का भी उसका तमाशा देख रहा था| उसने एकाएक छोटा-सा कंकड़ उठाया और बैल की पीठ पर दे मारा| कलाकार का बदन ठीक असली बैल की तरह कंपकंपाया| लड़का खुश होकर चीखा-“वाह, क्या लाजवाब अदाकारी है|”
उसके पास सिर की पुरानी और मैली टोपी के अलावा और कुछ नहीं था| उसने सिर से टोपी उतारी और कलाकार को देता हुआ बोला – “यह लो अपना इनाम|”
दरबारी लड़के का तमाशा देखकर हंस पड़े| लेकिन लड़का बिना झिझके आगे बढ़ा और बोला -“कला का वास्तविक मूल्य और तारीफ कीमती तोहफे देकर नहीं आंकी जा सकती| आप में से कोई भी इस कलाकार को परख नहीं सकता, मगर मैंने इसे परख लिया है| जैसे ही मैंने इस पर पत्थर फेंका, उसने फौरन अपनी पीठ कंपकंपाई| यह उसकी परीक्षा थी, जिसमें वह खरा उतरा|”
कलाकार ने भी सहमत होकर कहा – “हां महाराज, लड़का सच कह रहा है| यह कला का सच्चा पारखी है|”
अकबर लड़के से बहुत प्रभावित हुए| बोले -“बच्चे, तुम जो बहुत समझदार हो| क्या तुम मेरे दरबार में काम करोगे?”
लड़के ने खुशी से सिर हिलाकर ‘हां’ कह दिया| उस लड़के का नाम महेशदास था| बाद में यही लड़का बीरबल के नाम से मशहूर हुआ| अपनी समझदारी और हाजिरजवाबी के बल पर वह एक दिन राजा का पसंदीदा दरबारी बन गया|