जीवन से अधिक महत्वपूर्ण
जब एक चीनी यात्री भारत से वापस जा रहा था, उसे उपहारस्वरूप भोजपत्र पर लिखी हजारों पुस्तकें भेट की गयी| एक छोटे जहाज पर उसे लाद दिया गया| जहाजियों के अतिरिक्त भारत के पन्द्रह युवा तपस्वी भी जा रहे थे, जिन्होंने अभी-अभी अपनी शिक्षा पूरी की थी|
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जब वे बीच में सागर में पहुँचे, तब उन्हें जहाज में एक छिद्र का पता चला, जिससे पानी अन्दर आने लगा था| उसे बन्द करना सम्भव नहीं हुआ|
अगर बोझ कम हो जाये, तब छिद्र पानी के ऊपर ही रहेगा| यह तय हुआ कि पुस्तकों को फेंक दिया जाये ताकि वजन कम हो| तपस्वियों को ज्ञान का नष्ट होना स्वीकार न था| उनकी आँखे मिलीं| निश्चित हुआ, उन्होंने गुरु और ईश्वर को प्रणाम किया तथा एकाएक सभी पन्द्रह तपस्वी समुद्र में कूद गये| जहाज बच गया, पुस्तकें बच गयी| सभी ने नहीं, ऐसे ही चरित्रवानों ने पुस्तकों की सुरक्षा की है|