ईमानदारी (बादशाह अकबर और बीरबल)
बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा – “बीरबल! क्या हमारी सारी प्रजा ईमानदार है?”
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“नहीं हुजूर! हर व्यक्ति में कहीं-न-कहीं थोड़ी-सी बेईमानी भी होती है, बस कुछ ही लोग होते हैं जो ईमानदार होते हैं किंतु उनकी गिनती इतनी कम होती है कि हमें यही कहना पड़ता है कि सभी बेईमान हैं|” बीरबल ने जवाब दिया|
बादशाह अकबर को बीरबल की बात सुनकर हैरानी तो हुई किन्तु फिर भी उन्हें यकीन नहीं आया कि उनकी प्रजा उनके प्रति बेईमान है| उन्होंने बीरबल को यह बात सिद्ध करने को कहा|
अगले दिन बीरबल ने बादशाह की ओर से फरमान जारी करवा दिया कि सामूहिक भोज हेतु बादशाह अकबर सारी प्रजा से एक-एक लोटा दूध दान में चाहते हैं| प्रजा आज शाम तक महल के बाहर रखे बड़े कड़ाह में दूध डाल दे|
हर व्यक्ति यही सोचता रहा कि सभी तो दूध डाल रहे हैं, यदि वह एक लोटा पानी डाल देगा तो क्या फर्क पड़ेगा| इस तरह सभी उसमें पानी डालते रहे, मात्र दो-चार लोगों ने ही उसमें दूध डाला|
प्रात: अकबर और बीरबल ने जब कड़ाह को देखा तो उसमें निरा पानी था| उस पानी को देखकर साफ जाहिर था कि कुछ गिनती के लोगों ने ही दूध डाला है, बाकी सभी ने पानी|
बीरबल की ओर देखकर मुस्कराने लगे अकबर|