हल्ला मत करो

एक राजा को बोध (तत्त्वज्ञान) हो गया| उसने राजदरबार में अपने मंत्रियों से पूछा कि किसी को कोई दुर्लभ वस्तु मिल जाय तो वह क्या करे?

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किसी मंत्री ने कहा कि उसको छिपाकर रखना चाहिये, किसी ने कहा कि उसको सुरक्षित रखना चाहिये, किसी ने कहा कि तिजोरी में बन्द कर देना चाहिये, आदि-आदि| राजा को किसी मंत्री के उत्तर पर सन्तोष नहीं हुआ|

उसने अपने राज्य में ढिंढोरा पिटवाया कि कोई जानता हो मेरी इस बात का उत्तर दे| राज्य के अनेक व्यक्ति आये और उन्होंने अपनी-अपनी बात राज्य के अनेक व्यक्ति आये और उन्होंने कहा अपनी-अपनी बात राजा के सामने रखी, पर राजा को सन्तोषजनक उत्तर नहीं मिला| उसके राज्य में एक बनिया रहता था| उसको भी बोध हो चुका था| उसने राजपुरुषों के द्वारा राजा को कहलवाया कि किसी को कोई दुर्लभ वस्तु मिल जाय तो वह हल्ला नहीं करे, चुप रहे| राजा ने यह बात सुनी तो उसको बड़ा सन्तोष हुआ कि बनिया बात ठीक कहता है! राजा ने कहा कि हम खुद उससे मिलने जायँगे|

बनिये के पास समाचार पहुँचा कि अमुक समय राजा आपसे मिलने के लिये पधार रहे हैं| नियत समय पर राजा बनिये के घर पहुँचा| साधारण-घर था| बनिये ने राजा के बैठने के लिये  बोरा बिछा दिया| राजा ने बनिये से बातचीत की| फिर राजा ने बनिये से कहा कि तुम कुछ भी माँगो, मैं देने को तैयार हूँ| बनिये ने कहा-‘अब आगे से बिना बुलाये आप आना मत और मिलने के लिये मेरे को बुलाना मत!’राजा ने सोचा था कि अधिक-से-अधिक यह राज्य माँग लेगा, इससे अधिक और क्या माँगेगा| पर जब बनिये के मुख से यह बात सुनी तो राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ| राजा ने कहा कि आपकी बात का तात्पर्य मैं समझा नहीं! बनिये ने कहा-‘महाराज! मैंने आपको मेरे से मिलने या मेरे बुलाने के लिये मना किया है, पर मैं आपसे नहीं मिलूँगा-ऐसा नहीं कहा है| आपके लिये मना इसलिये किया कि लोगों में प्रचार हो जायगा कि इनकी राजा से जान-पहचान है| इसलिये लोग मेरे को तंग करेंगे| कोई कहेगा कि मेरा अमुक काम करवा दो, कोई कहेगा कि राजा से कहकर मेरी नौकरी लगवा दो, कोई कहेगा कि मेरी सजा माफ करवा दो, तो एक नई आफत पैदा हो जायगी! इसलिये आप न तो आयें, न मेरे को बुलायें, पर मैं जब चाहूँगा आप से मिल लूँगा| मेरे मिलने की मैंने मनाही नहीं की है| वास्तव में अब न आपको मेरे से मिलने की जरूरत रही, न मेरे को आपसे मिलने की जरूरत रही!’