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गीता के प्रभाव से चुड़ैल भागी

गीता के अध्ययन और श्रवण की तो बात ही क्या है, गीता को रखने मात्र का भी बड़ा माहात्म्य है! एक सिपाही था| वह रात के समय कहीं से अपने घर आ रहा था| रास्ते में उसने चन्द्रमा के प्रकाश में एक वृक्ष के नीचे एक सुन्दर स्त्री देखी| उसने उस स्त्री से बातचीत की तो उस स्त्री ने कहा-मैं आ जाऊँ क्या? सिपाही ने कहा-हाँ, आ जा|

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सिपाही के ऐसा कहने पर वह स्त्री, जो वास्तव में चुड़ैल थी, उसके पीछे आ गयी| अब वह रोज रात में उस सिपाही के पास आती, उसके साथ सोती, उसका संग करती और सबेरे चली जाती|

इस तरह वह उस सिपाही का शोषण करने लगी अर्थात् उसका खून चूसकर उसकी शक्ति क्षीण करने लगी| एक बार रात में वे दोनों लेट गये, पर बत्ती जलती रह गयी तो सिपाही ने उससे कहा कि तू बत्ती बन्द कर दे| उसने लेटे-लेटे ही अपना हाथ लम्बा करके बत्ती बन्द कर दी| अब सिपाही को पता लगा कि यह कोई सामान्य स्त्री नहीं है, यह तो चुड़ैल है! वह बहुत घबराया| चुड़ैल ने उसको धमकी दी कि अगर तू किसी को मेरे बारे में बतायेगा तो मैं तेरे को मार डालूँगी| इस तरह वह रोज रात में आती और सबेरे चली जाती| सिपाही का शरीर दिन-प्रतिदिन सूखता जा रहा था| लोग उससे पूछते कि भैया! तुम इतने क्यों सूखते जा रहे हो? क्या बात है, बताओ तो सही! परन्तु चुड़ैल के डर के मारे वह किसी को कुछ बताता तो नहीं था| एक दिन वह दुकान से दवाई लाने गया| दुकानदार ने दवाई की पुड़िया बाँधकर दे दी| सिपाही उस पुड़िया को जेब में डालकर घर चला आया| रात के समय जब वह चुड़ैल आयी, तब वह दूसरे ही खड़े-खड़े बोली कि तेरी जेब में जो पुड़िया है, उसको निकालकर फेंक दे| सिपाही को विश्वास हो गया कि इस पुड़िया में जरुर कुछ करामात है, तभी तो आज यह चुड़ैल मेरे पास नहीं आ रही है! सिपाही ने उससे कहा कि मैं पुड़िया नहीं फेकूँगा| चुड़ैल ने बहुत कहा, पर सिपाही ने उसकी बात मानी नहीं| जब चुड़ैल का उसपर वश नहीं चला, तब वह चली गयी| सिपाही ने जेब में से पुड़िया को निकालकर देखा तो वह गीता का फटा हुआ पन्ना था! इस तरह गीता का प्रभाव देखकर वह सिपाही हर समय अपनी जेब में गीता रखने लगा| वह चुड़ैल फिर कभी उसके पास नहीं आयी|