गधे की आकांक्षा
एक व्यापारी के पास एक गधा था| उसे अच्छा भोजन मिलाता था| वह मोटा और शक्तिशाली था| व्यापारी के पापस एक कुत्ता भी था| वह कुत्ते से खेलता था| कुत्ते उसकी गोद में बैठ जाता था, और पांव चाटता था| बदले में उसे रोटी, हड्डी और व्यापारी की प्यार भरी थपकी मिलाती थी|
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गधे को कुत्ते से ईर्ष्या होती थी| थपकी के बदले उसकी पिटाई होती थी| वह तय कर चूका था मालिक का प्यार पाकर ही वह मानेगा|
एक दिन गधा उसके बैठक में घुस गया| उसका मालिक एक लम्बे मेज के पास बैठा था| प्रेम दर्शाने के लिए गधा पिछले पाँवों को मालिक के छाती पर रख दिया और रेंकने लगा|
फिर चटाने के लिए उसने अपनी लम्बी जीभ निकली| मालिक डर गया और सहायता के लिए नौकरों को पुकारा| नौकर आये उसे पकड़ना चाहा| उस संघर्ष में मेज से सामान गिरे और चकनाचूर हो गये| गुस्से से नौकरों ने गधे की मरम्मत कर दी| उसे पीटते हुए बहार लाये| गधा दुखी था, क्योंकि वह नहीं समझ सका की गलती कहाँ हुई|