एकता का अभाव (बादशाह अकबर और बीरबल)
यह घटना मुगलकाल की है| अकबर ने एक बार अपने राजदरबार में सवाल किया कि इस दुनिया में भेड़-बकरियों, घोड़े-गधों के समूह तो दिखाई देते हैं, लेकिन कुत्तों का समूह नहीं दिखाई देता?
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कोई दरबारी सवाल का ठीक जवाब नहीं दे सका| अकबर ने अपने हाजिर-जवाब मंत्री बीरबल से भी यही प्रश्न किया, परंतु बीरबल ने उत्तर के लिए रात-भर की मोहलत माँगी| शाम के समय ही बीरबल ने एक सुरक्षित कमरे में भेड़े, उनके लिए हरी घास और पानी रखवा दिया| एक अन्य कमरे में कुत्ते तथा उनकी खुराक रखवा दी|
अगले दिन सुबह ही मंत्री बीरबल बादशाह अकबर को लेकर उन कमरों के पास पहुँचे| जब भेड़ों का कमरा खोला गया तब उन्होंने देखा कि भेड़ों का सारा चारा, घास, पानी खत्म हो गया था, वे एक-दूसरे से लिपटी इकट्ठी मजे से सो रही थी| इसके बाद जब कुत्तों का कमरा खोला गया तब वहाँ बड़ा खौफ़नाक नजारा देखने को मिला| उनका खाना-पानी पहले दिन की तरह ज्यों-का-त्यों रखा हुआ था और सब कुत्ते बुरी तरह घायल और लहू-लूहान हो गए थे| एक कुत्ता ज्योहीं खाने की ओर बढ़ता तो दूसरे कुत्ते उस पर गुर्राते और हमला कर देते| इस सारी रात कुत्तों में घमासान लड़ाई होती रही, सब भूखे-प्यासे रहे, सब आपस में लड़ते रहे| बीरबल ने अकबर बादशाह को कहा- “संसार के सब पक्षी-पशु आपस में मेल-मिलाप से रह जाते हैं, परंतु कुत्ते कभी मिलकर नहीं रहते| इसी कारण कुत्तों का कभी समूह नहीं देखा जाता| न वे एक-साथ मिलकर रह पाते हैं और न इकट्ठे होकर खा-पी सकते हैं|” इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बुरे लोगों में हमेशा एकता का अभाव पाया जाता है इसलिए उनकी तुलना कुत्तों से की जाती है|