चम्मच का सूप
एक बार एक किसान किसी काम से शहर गया | जैसे ही शाम होने लगी, उसे लगा कि उसे तुरंत गांव लौट जाना चाहिए | अगर देर हो गई तो अंधेरे में घर पहुंचना मुश्किल हो जाएगा | वह अपना काम अधूरा छोड़कर गांव की ओर चल दिया |
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वह थोड़ी ही दूर गया था कि अचानक बादल घिर आए, ठंडी हवाएं चलने लगीं | उसने अपनी चाल तेज कर दी | परंतु कुछ ही देर में बूंदा-बांदी होने लगी | किसान ने सोचा कि अगर मैं तेज चलूं तो शायद रात होने से पहले अपने घर पहुंच जाऊंगा |
परंतु मौसम को यह मंजूर नहीं था | काली घटाओं के कारण जल्दी ही अंधेरा छाने लगा | बारिश भी तेज होने लगी | किसान ने आगे बढ़ना ठीक नहीं समझा | आगे जंगल का खतरनाक रास्ता था | एक तो खराब मौसम, ऊपर से जंगली रास्ता सोचकर किसान डर से मारे कांपने लगा |
वह एक छोटे-से घर के आगे बरामदे में दुबक कर बैठ गया | परंतु ठंडी हवाओं के कारण उसे सर्दी लगने लगी | रात होते-होते उसे सर्दी के साथ-साथ भूख भी लगने लगी | उसे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था | वह सोचने लगा कि इस समय थोड़ा-सा कुछ गरम खाने को मिल जाता तो उसकी सर्दी भी मिट जाती और भूख भी कम हो जाती |
उसने डरते-डरते घर की कुंडी खटखटाई | अंदर से बुढ़िया ने दरवाजा खोला | बुढ़िया उस घर में अकेली रहती थी | उसने हिम्मत करके पूछा – “तुम कौन हो ? और इस तूफानी रात में मेरे दरवाजे पर क्या कर रहे हो ?”
किसान ने विनम्र होते हुए कहा – “मैं एक गरीब किसान हूं | मेरा नाम चोखे है | शहर में कुछ काम से आया था | अब बारिश के कारण यहां फंस गया हूं |”
बुढ़िया हट्टे-कट्टे जवान को देखकर भीतर से घबरा गई थी | परंतु ऊपर से हिम्मत दिखाते हुए बोली – “तो मुझसे क्या चाहते हो ?”
“मां जी, मुझे बहुत सर्दी लग रही है और साथ ही जोर की भूख लगी है | अगर आप मुझे अंदर आने देंगी और कुछ खिला देंगी तो मैं आपका एहसास जिन्दगी भर नहीं भूलूंगा |”
बुढ़िया ने उसे टालने की गरज से कहा – “चोखे, मेरे पास आज खाने को कुछ नहीं है, वरना तुम्हें कुछ न कुछ जरूर खिला देती |”
चोखे की दरवाजे के सामने ही रसोई में एक चम्मच दिखाई दिया | उसने कहा – “कोई बात नहीं मां जी, मैं चम्मच का सूप बना कर पी लूंगा | आपके घर में चम्मच तो है न ?”
रसोई में चम्मच सामने ही पड़ा था, अत: बुढ़िया कुछ बहाना न बना सकी | वह सोचने लगी मुझे तो चम्मच का सूप बनाना नहीं आता और भला चम्मच का सूप कैसे बनता है मैं भी तो देखूं | उसने किसान को भीतर आने दिया |
किसान ने चूल्हा जला दिया और सूप बनाने के लिए पतीला मांगा | फिर चम्मच को रगड़-रगड़ कर साफ किया | बुढ़िया चोखे को निहार कर देखे जा रही थी |
किसान ने बड़े पतीले में पानी भर कर उसमें चम्मच डाल दिया | पानी गरम होने लगा | इस बीच किसान ने कहा – “मां जी मेरा नाम तो चोखे है ही, मैं सूप भी बड़ा चोखा बनाता हूं |”
इतनी देर में पानी से भाप निकलने लगी | किसान बोला – “मां जी जरा-सा नमक होगा ?”
बुढ़िया नमक के लिए भला क्या मना करती, सो नमक का डिब्बा उठाकर किसान को दे दिया | किसान ने आधा चम्मच नमक उसमें डाल दिया और चलाने लगा |
कुछ ही मिनटों में पानी उबलने लगा | किसान ने उसे निकाल कर चखा | बुढ़िया देखकर हैरान हुई जा रही थी | इतने में किसान बोला – “सूप तो बड़ा स्वादिष्ट बन रहा है, लेकिन इसमें कोई सब्जी पड़ जाती तो मजा आ जाता |”
“कौन-सी सब्जी चाहिए, एक दो सब्जी तो मेरे पास भी हैं |” बुढ़िया बोली |
“टमाटर, लौकी, कद्दू, आलू कुछ भी चलेगा |” किसान ने कहा |
बुढ़िया ने सोचा, चलो आज नया सूप सीखने को मिल रहा है, तो उसने तीन-चार टमाटर किसान को दे दिए | किसान ने उन्हें चाकू से काट कर डाल दिया और चम्मच से दबा-दबा कर चलाने लगा |
किसान बोला – “आज तो वाकई बहुत स्वादिष्ट सूप बना लगता है | बहुत अच्छी खुशबू आ रही है | मैं अभी आपको चखाता हूं |”
बुढ़िया मन ही मन खुश होने लगी कि आज उसने चम्मच का सूप बनाना सीख लिया है | किसान ने थोड़ा-सा सूप चम्मच में निकाला फिर बुढ़िया से बोला – “मां, जी अगर आप इसे चखने के पहले चुटकी भर चीनी डाल लेंगी तो आपको अधिक स्वादिष्ट लगेगा |”
बुढ़िया ने चोखे का मतलब समझ लिया कि इसे सूप में डालने के लिए चम्मच भर चीनी चाहिए और किसान ने चीनी सूप में डाल दी | फिर किसान ने चम्मच से सूप को दो कटोरी में डाल दिया | वह बुढ़िया से बोला – “देखिए चम्मच का सूप कितना चोखा बना है |”
बुढ़िया ने सूप चखा तो दंग रह गई | बोली – “आज तक मैंने चम्मच का सूप न कभी सुना, न चखा, परंतु यह तो वास्तव में बहुत स्वादिष्ट है |”
बुढ़िया और किसान बैठकर गर्म सूप का आनंद लेने लगे | उनके पास से सर्दी कब की उड़नछू हो चुकी थी |