भगवन जो करता है… अच्छा करता है (बादशाह अकबर और बीरबल)
लापरवाही से तलवार पकड़ने के कारण एक बार अकबर के अंगूठे का ऊपरी हिस्सा थोड़ा-सा कट गया, जिसके कारण वे दर्द से कहरा उठे| यह देखकर बीरबल ने कहा – “भगवान जो करता है, अच्छा ही करता है|”
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यह सुनकर अकबर क्रोधित हो उठे, और इसी क्रोध में उन्होंने बीरबल को दरबार से बर्खास्त कर दिया| बीरबल पुन: यह कहकर कि भगवान जो करता है अच्छा ही करता है, दरबार से चले गए|
कुछ दिनों बाद अकबर को शिकार पर जाने की इच्छा हुई और वे कुछ सैनिकों के साथ जंगल में शिकार खेलने चल दिए|
दुर्भाग्य से अकबर अपने सिपाहियों से बिछुड़ कर घने जंगलों में निकल गए| वहां कुछ जंगली आदिवासियों की नजर उन पर पड़ गई| वे उन्हें पकड़कर अपने सरदार के पास ले गए|
वह आदिवासी सरदार अकबर की बलि देने के लिए अपने देवता की आराधना करने लगा| सभी आदिवासी बादशाह के चारों ओर घूम-घूमकर नाच-गा रहे थे| तभी एक आदिवासी की नजर बादशाह के कटे हुए अंगूठे पर पड़ी| वह जोर-जोर से कुछ चिल्लाने लगा| आदिवासियों के सरदार ने भी गौर से अकबर के हाथ को देखा और चिल्लाते हुए उसे छोड़ देने का आदेश दिया| अकबर समझ गए कि अंगूठा कटा होने के कारण वे उनके देवता की बलि के योग्य न थे, इसलिए उन्हें छोड़ दिया|
तभी बादशाह को बीरबल की वह बात याद आ गई कि भगवान जो करता है अच्छा ही करता है| महल में पहुंचकर उन्होंने तुरन्त बीरबल को वापस बुलवा लिया और गले लगाकर सम्मान के साथ उसे उसके साथ पर बैठा दिया|
बादशाह अकबर ने अपने साथ बीते वृत्तांत को सुनाकर अचानक बीरबल से पूछा – “जब मेरा अंगूठा कटा तब तुमने कहा, भगवान जो करता है अच्छा करता है किंतु जब मैंने तुम्हें दरबार से निकाल दिया तब तुमने ऐसा क्यों कहा?”
“हुजूर, यदि आप मुझे दरबार से न निकालते तो यकीनन मैं भी आपके साथ शिकार पर जाता और तब आप तो अंगूठा कटा होने के कारण बच जाते, पर मैं आदिवासियों का शिकार बन जाता|”
बीरबल का जवाब सुनकर अकबर खुश हो गए|