बांसुरी की धुन
एक बार एक गांव में एक लड़का रहता था | उसके मां-बाप बचपन में ही गुजर गए थे | इस दुनिया में उसका सगा कोई न था | उसके जन्म लेते ही उसकी मां की मृत्यु हो गई थी | सब लोग उसे कैनी कहकर पुकारते थे |
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कैनी को अड़ोसी-पड़ोसियों ने मिलकर पाला था | वह एक वक्त का खाना किसी एक के घर खा लेता और दूसरे वक्त का खाना किसी दूसरे के यहां खा लेता था | सभी ने उसे बचपन से अनाथ देखा था, इसलिए सबकी हमदर्दी उसके साथ थी |
कैनी सबका प्यार और हमदर्दी पाकर आलसी बन गया था | वह बारह-तेरह वर्ष का हो चला था, लेकिन उसका किसी काम में मन नहीं लगता था | वह अपना वक्त इधर-उधर खेतों में घूमते हुए गुजार देता था | खाली बैठकर वह बांसुरी बजाता रहता था |
कैनी बहुत ही मीठी बांसुरी बजाता था | उसकी मीठी आवाज सुनकर लोग मुग्ध हो जाते थे | कुछ लोग उसकी बांसुरी की धुन सुनकर उसे इनाम भी दे जाते थे | इसी तरह समय बीतता गया और कैनी जवान होता गया | परंतु कैनी वैसा ही आलसी बना रहा |
उसे जिस जैकी व उसकी पत्नी ने पाला था, उन्हें वह चाचा-चाची कहकर पुकारता था | चाचा-चाची का अपना बेटा भी बड़ा होकर काम पर जाने लगा था |
एक दिन कैनी सुबह को देर तक सोया था | उसकी चाची उसे बार-बार उठाने की कोशिश कर रही थी, परंतु कैनी उठ नहीं रहा था | चाची ने गुस्से में आकर बाल्टी में पानी भरा और कैनी के ऊपर डाल दिया, कैनी घबराकर उठ बैठा | चाची को क्रोध तो पहले से ही आ रहा था, वह बोली – “कैनी, यह कोई तरीका है कि इतनी धूप चढ़ने तक सो रहे हो ? अपने चाचा की कमाई पर ऐश कर रहे हो | खुद कमाई करो तो पता लगे कि मेहनत क्या होती है ?”
कैनी यह बात लोगों से सैकड़ों बार सुन चुका था कि खुद कमाई करोगे तो पता लगेगा, परंतु उसे कभी इस बात का बुरा नहीं लगा था, परंतु आज सुबह-सुबह चाची के मुंह से ये शब्द सुनकर उसके दिल में तीर की तरह चुभ गए, उसने चाची से कुछ नहीं कहा, लेकिन मन ही मन निश्चय किया कि वह अब घर तभी लौटेगा, जब कुछ कमाने लगेगा |
कैनी ने घर से निकलते समय जैकी चाचा और चाची के पैर छुए, फिर उनसे गले मिलकर बाहर निकल गया | शाम को जब कैनी देर तक नहीं लौटा तो जैकी और उसकी पत्नी कैनी के सुबह के बदले हुए व्यवहार के बारे में चर्चा करने लगे | कुछ और समय बीतने पर जैकी को कैनी की चिंता सताने लगी और वह पत्नी से कहने लगा – “तुमने सुबह ही उसे अच्छी-खासी डांट लगाई थी | लगता है वह तुमसे रूठकर भाग गया है |”
पत्नी को अब अपनी भूल का एहसास हो रहा था | परंतु अब कैनी के इंतजार के सिवा कुछ नहीं किया जा सकता था ||
धीरे-धीरे कई दिन और फिर सप्ताह बीत गए, परंतु कैनी नहीं लौटा | उधर, कैनी चलते-चलते दूर निकल गया था | रास्ते में उसे भूख लगने लगी, परंतु भोजन के लिए उसके पास पैसे न थे |
चलते-चलते वह पास के एक नगर में पहुंच गया | वहां जाकर उसने अनेक लोगों से काम मांगा, लेकिन उसे कहीं काम नहीं मिला | एक तो वह कोई काम जानता नहीं था, दूसरे बिना किसी जान-पहचान के कोई उसे नौकरी देने को तैयार न था |
थककर वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया और जेब से निकालकर बांसुरी बजाने लगा | इत्तफाक से उधर से एक संगीतज्ञ अपने घोड़े पर निकल रहा था | उसने कैनी की बांसुरी की मीठी धुन सुनी तो वह उसकी योग्यता पर मुग्ध हो गया | संगीतज्ञ कैनी को अपने साथ ले गया और उसकी खूब आवभगत की |
वह संगीतज्ञ राजा के दरबार में गिटार बजाकर राजा का दिल बहलाया करता था | अगले दिन जब वह राजदरबार में गया तो राजा से कैनी की खूब प्रशंसा की | राजा ने संगीतज्ञ से कहा – “हो सकता है कि कैनी वास्तव में गुणी कलाकार हो, परंतु हम पहले उसकी परीक्षा लेना चाहते हैं |”
अगले दिन राजा ने अपने राज्य के अनेक बड़े-बड़े संगीतविदों को अपने दरबार में बुलाया | सभी विद्वान अपने-अपने वाद्य यंत्र लेकर दरबार में पहुंचे | कैनी को भी दरबार में आमंत्रित किया गया था | उसने अपनी बांसुरी अपनी जेब में रखी और राजा के दरबार में पहुंच गया |
सभी विद्वान एक-एक करके आने वाद्य बजाकर राजा को खुश करने लगे | जब उन्हें यह पता लगा कि वह युवक भी संगीत की परीक्षा देने आया है, तो वे सब कैनी को खाली हाथ आया देखकर हंसने लगे | वे आपस में खुसर-फुसर करने लगे कि यह छोकरा उनकी योग्यता के आगे कहां टिक पाएगा |
सबके पश्चात् कैनी की बारी आई तो उसने राजा के सामने जाकर नतमस्तक होकर प्रणाम किया, फिर वहीं जमीन पर बैठकर अपनी बांसुरी बजाने लगा | उसकी बांसुरी की धुन वास्तव में इतनी मीठी थी कि सभी लोग मंत्र-मुग्ध होकर धुन में खो गए |
कैनी ने जैसे ही बांसुरी की धुन समाप्त की, राजदरबार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा | राजा ने कैनी की प्रशंसा करते हुए कहा – “कैनी, हम तुम्हारी योग्यता से बहुत खुश हुए हैं | सबसे बड़ी बात यह है कि सबके हंसी उड़ाने के बावजूद तुमने अपना आत्मविश्वास नहीं खोया | किसी भी व्यक्ति की योग्यता और आत्मविश्वास उसे कहीं भी ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती है | तुममें अपनी योग्यता का घमंड नहीं है | यह बहुत खुशी की बात है | हम तुम्हें अपने दरबार में नौकरी देते हैं |”
राजा की बात सुनकर कैनी खुश हो गया | वह महल के एक कमरे में रहने लगा | एक माह बीतने पर जब कैनी को पहली पगार मिली तो वह पैसे लेकर जैकी चाचा और चाची के पास गया और उन्हें अपनी तनख्वाह देते हुए पूरी बात बता दी |
कैनी की बात सुनकर चाचा-चाची बहुत खुश हुए | उसके पैसे उसी को वापस देते हुए चाचा बोले – “बेटा तुम जहां रहो, सुखी रहो | परंतु यह बात याद रखना कि कोई भी कला छोटी नहीं होती | तुम्हारी बांसुरी ने ही तुमको यहां तक पहुंचाया है |”
तभी कैनी की चाची भीतर से आई और बोली – “ईश्वर की कृपा से तुम्हें सब कुछ प्राप्त हो गया है, अपनी मेहनत और लगन से तुम और तरक्की करते जाना, यही हमारा आशीर्वाद है | यह बात याद रखना कि आलस्य आदमी को निकम्मा बना देता है |”
कैनी चाची से लिपटते हुए बोला – “हां चाची, मैं मेनहत की कीमत पहचान गया हूं | अब कभी आलस्य नहीं करूंगा और जी लगाकर काम करूंगा |”
चाचा-चाची का आशीर्वाद लेकर कैनी राजदरबार में चला गया और सुख से अपने दिन काटने लगा |