Homeशिक्षाप्रद कथाएँबाधाओं से हार न मानो

बाधाओं से हार न मानो

यदि आपका मन स्वस्थ है, शक्तिशाली है तो आप अपनी शारीरिक अक्षमता के होते हुए भी कमाल कर सकते हैं| भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी चंद्रशेखर का हाथ पोलियों से पीड़ित हो गया| उसने अपनी हाथ के अक्षमता के बावजूद भी हार नहीं मानी| उसने उसी हाथ से गेंद फेंकने का ऐसा अभ्यास किया कि वह संसार में कुछ श्रेष्ठ फिरकीबाजों, स्पिन गेंद फेंकने वालों में श्रेष्ठतम गिना गया|

“बाधाओं से हार न मानो” सुनने के लिए Play Button क्लिक करें | Listen Audio

दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले ग्लेन कनिंघम के पाँव बचपन की एक दुर्घटना में बेकार हो गए| डॉक्टर लोग जहाँ असफल हो गए, वहाँ इस पंगु लड़के के मन ने निर्णय किया कि वह दौड़गा, और इस लंगड़े लड़के ने सबसे तेज दौड़ने के सब रिकार्ड तोड़ डाले| [quote width=”auto” align=”left” border=”grey” color=”grey” title=”Submit your story to publish in this portal”] अपनी आप बीती, आध्यात्मिक या शिक्षाप्रद कहानी को अपने नाम के साथ इस पोर्टल में सम्मलित करने हेतु हमें ई-मेल करें । (Email your story with your name, city, state & country to: [email protected]) [/quote]

मिल्टन, सूरदास- अंधे थे, बाथोपन बहरा था, गोगोल अर्द्धविक्षिप्त थे, आचार्य नरेंद्रदेव और राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद को दमा था| शारीरिक अक्षमता एवं प्रतिकूल परिस्थितियों के सामने हार न मानते हुए, उससे जूझकर ही ये सामान्य मानव से महामानव बन गए| जन्म से ही अंधी हैलन कैलर से एक बार पूछा गया- “सब तरह के अवरोधों और असफलताओं के रहते आप जिंदगी में कैसे बढ़ी?” हैलन कैलर ने उत्तर दिया- “मैं ईश्वर को धन्यवाद देती हूँ कि उसने मुझे अंधा और बहरा बनाया| उन्हीं से मैं भगवान् और उनकी कृतियों का ठीक मूल्यांकन कर सकी|”

सवाल यह है कि हम आँख और नाक वाले सभी सुविधाओं के होते ईश्वर और जगत् का ठीक मूल्यांकन कब कर पाएँगे? इस कहानी से हमें मिलती है कि हमें बाधाओं का डटकर मुकाबला करना चाहिए, उनसे कभी हार नहीं माननी चाहिए|