बातूनी

किसी गांव में एक लड़का रहता था | उसका नाम था रेम्स | रेम्स अत्यंत बातूनी लड़का था | वह अपनी बातों से अक्सर लोगों को प्रभावित कर लेता था |

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रेम्स जितना बातूनी था, उतना ही आलसी और कामचोर था | उसके बाप-दादा ने उसके लिए अपार धन-दौलत छोड़ी थी | इस कारण उसे कमाने की कोई चिंता न थी |

रेम्स दिल खोलकर खर्च करता था और दिन-रात इधर-उधर घूमने में समय बिता देता था | खुले हाथ से खर्च के कारण उसके अनेक मित्र बन गए थे, जो मौके का लाभ उठाकर मुफ्त का आनंद उठाते थे |

जैसे बूंद-बूंद पानी गिरने से मटका खाली हो जाता है, उसी तरह खर्च करते-करते रेम्स की धन-दौलत समाप्त होने लगी | धीरे-धीरे उसके दोस्त उससे आंखें चुराने लगे | अब रेम्स के पास कुछ नहीं बचा था | उसका कोई भी मित्र उसकी सहायता करने को तैयार नहीं था |

रेम्स काम की तलाश में उधर-उधर भटकने लगा | एक दिन वह राजा के दरबार में पहुंच गया और राजा से कोई नौकरी देने की प्रार्थना की |

राजा ने कहा – “तुम हमारे लिए क्या काम कर सकते हो ?”

रेम्स को यूं तो कुछ काम करना नहीं आता था, परंतु बातें बनाने और गप्पें हांकने में उस्ताद था | वह तुरंत हाजिर-जवाबी के साथ बोला – “जो काम आपके किसी आदमी से न हो सके, वह काम रेम्स कर दे | आप आजमाएं तो हुजूर |”

राजा को लगा कि यह आदमी बहुत होशियार है | देखने में जितना सीधा-सादा है, बातचीत और अक्लमंदी में उतना ही चतुर जान पड़ता है | वह सोचने लगा कि यह आड़े वक्त में खूब काम आएगा |

यही सोचकर राजा ने रेम्स को नौकरी पर रख लिया | रेम्स को अच्छे ओहदे पर रखा गया था | इस कारण प्रतिदिन एक सोने का सिक्का देना तय किया गया |

रेम्स बहुत खुश था कि उसे इतनी अच्छी तनख्वाह मिलती है | वह पुरे राजसी मेहमानखाने से अपना मनपसंद भोजन करने लगा और राजमहल में ही एक कमरे में रहने लगा |

जब कभी रेम्स का मन होता, वह अन्य कर्मचारियों व पहरेदारों के काम की निगरानी कर आता | एक दो लोगों को आलसी कह कर डांट लगा आता फिर अपने कमरे में आराम करने लगता |

राजा के इतने बड़े राजमहल में ढेरों कर्मचारी थे | इस कारण कौन काम कर रहा है और कौन मुफ्त में तनख्वाह ले रहा है, राजा को पता ही नहीं लग पाता था |

रेम्स के दिन बहुत मजे में कट रहे थे | एक दिन पड़ोसी राजा ने उस देश पर आक्रमण कर दिया | राजा ने भी उस पड़ोसी राजा का मुकाबला करने के लिए अपनी फौज भेजी |

परंतु राजा के सिपाही मरने लगे क्योंकि व पड़ोसी राजा का मुकाबला करने में असमर्थ थे | राजा ने अपने मंत्रियों से मंत्रणा की कि उस शत्रु देश की सेना का मुकाबला किस प्रकार किया जाए ? पर किसी भी मंत्री को इसका उपाय नहीं सूझ रहा था |

राजा सोच में डूबा था, तभी उसे रेम्स की याद हो आई, जिसने कहा था कि जो काम कोई न कर सके वह काम रेम्स कर दे | राजा ने रेम्स को बुलवा भेजा |

रेम्स तुरंत राजा व मंत्रियों की सभा में हाजिर हुआ |

राजा ने कहा – “रेम्स तुमने कहा था कि जो काम कोई न कर सके, वह काम रेम्स कर दे, क्या तुम्हें याद है ?”

“जी, हुजूर बिल्कुल याद है |” रेम्स बोला |

“तो अब एक काम तुम्हें करना होगा |” राजा ने कहा |

रेम्स हंसते हुए बोला – “आप काम तो बताइए, मैं चुटकियों में कर दूंगा |”

राजा कुछ मिनट रुका, फिर बोला – “तुम जानते ही होगे कि हमारे देश पर पड़ोसी राजा ने आक्रमण कर दिया है | हमारी छोटी-सी सेना इतनी बड़ी सेना का मुकाबला नहीं पा रही है | तुम्हें किसी प्रकार इस युद्ध को रोकना होगा |”

रेम्स भीतर ही भीतर घबरा उठा | उसे समझ में नहीं आया कि वह राजा को किस प्रकार संतुष्ट करे ? परंतु ऊपर से हंसता हुआ बोला – “महाराज ! मैं पड़ोसी राजा की सेना के छक्के छुड़ा दूंगा | अपनी तलवार यूं घुमाऊंगा कि दुश्मनों की गरदन धड़ से अलग हो जाएगी |”

राजा ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा – “क्या तुम युद्ध की विद्या भी जानते हो ?”

रेम्स पहले दर्जे का गप्पी तो था ही, तुरंत बात बनाते हुए बोला – “अरे मैं बहुत कुछ जानता हूं, बस मुझे मौका मिलना चाहिए | अब आप देखिएगा कि मैं क्या करता हूं ?”

राजा ने आश्वस्त होते हुए कहा – “तुम्हें जो मदद चाहिए ले लो और जल्दी ही अपना कमाल दिखाओ |”

रेम्स वहां से जाकर अपने कमरे में बैठ कर सोच-विचार करने लगा | वह जानता था कि वह कुछ भी नहीं कर सकता था, वह सिर्फ बातें बनाना जानता था |

उसने चुपचाप अपना सामान बांधकर एक कोने में रख दिया और खजाना मंत्री से जाकर कहा – “मुझे राजा ने जो कार्य सौंपा है, उसके लिए हजार मोहरें चाहिए |”

खजाना मंत्री ने सहर्ष ही उसे हजार मोहरें दे दीं | रेम्स खुश था कि भविष्य के लिए उसका अच्छा इंतजाम हो गया | राजा के यहां मिलने वाली सारी मोहरें भी उसने जोड़ रखी थीं |

उसने मन ही मन राजमहल से भाग जाने की योजना बना डाली | तभी उसे खयाल आया कि यहां से दूर जाते-जाते तो एक-दो दिन लग जाएंगे | इतने समय में तो वह भूखा मर जाएगा |

रेम्स शाम के वक्त रसोई में पहुंचा | लेकिन भोजन का वक्त न होने के कारण वहां शाही रसोइए मौजूद नहीं थे | तभी एक रसोइए ने वहां प्रवेश किया | वह बोला – “आपकी किसी चीज की आवश्यकता हो तो बताइए |”

रेम्स ने तुरंत बात बनाते हुए कहा – “मुझे शाही काम से बाहर जाना है, अत: मैं रात्रि के भोजन के समय मौजूद नहीं रहूंगा | यदि कोई भोजन आप अभी तैयार कर सकें तो… |

“हां हां मैं अभी भोजन तैयार किए देता हूं | आप आधा-पौन घंटा ठहर जाइए |” रसोइया बोला |

रेम्स सोचने लगा कि आंधे घंटे में महल के दूसरे और रसोइए इधर आ गए तो उसकी पोल खुल जाएगी | अत: वह बोला – “दोपहर के भोजन में से जो कुछ बचा हो वही दे दीजिए |”

रसोइए ने देखकर बताया कि सिर्फ तीन रोटियां बची हुई हैं और एक सब्जी | रेम्स ने खुश होकर वह रोटी और सब्जी ले ली | इसके पश्चात् माका देखकर रेम्स ने मोहरें, अपने समान की गठरी ली और महल के पिछवाड़े से बाहर निकल गया |

रात्रि होने को थी | रेम्स को किसी ने जाते हुए नहीं देखा | वह तेज कदमों से चलता रहा – चलते-चलते जंगल में पहुंच गया | तब तक रात्रि हो गई थी | उसने एक रोटी निकाल कर खा ली और रात्रि पेड़ पर बिता दी |

सुबह होते ही वह आगे के लिए चल दिया | चलते-चलते वह थक गया था, उसे प्यास भी लगी थी | रास्ते में उसने एक तालाब देखा तो सोचा कि यहीं बैठकर थोड़ा भोजन कर लूं और पानी पीकर विश्राम कर लूं |

उसने पहले तालाब के पानी से प्यास बुझाई, फिर पेड़ की छांव में यह सोचकर लेट गया कि अभी थोड़ा सुस्ता लूं फिर भोजन करूंगा | परंतु लेटते ही रेम्स की आंख लग गई |

काफी देर बाद रेम्स की आंख खुली तो उसे जोर की भूख लगी थी | वह अपनी खाने की पोटली खोलकर बैठ गया | उसमें केवल दो रोटियां थीं | रेम्स सोचने लगा कि यदि उसने दोनों रोटियां अभी खा लीं तो बाद में भूख लगने पर क्या खाएगा |

रेम्स सोचते-सोचते बुदबुदाने लगा एक खाऊं, दोनों को खाऊं, एक खाऊं, दोनों को खाऊं | भाग्यवश उस पेड़ पर दो परियां रहती थीं | उन परियों ने बुदबुदाते हुए देखा तो वे डर गईं | वे सोचने लगीं कि रेम्स उन दोनों को खाने की बात कर रहा है |

दोनों परियां झट से रेम्स के सामने आ खड़ी हुईं और प्रार्थना करने लगीं कि वह उन दोनों को छोड़ दे, बदले में बड़ा इनाम ले ले | रेम्स को पहले तो कुछ समझ में नहीं आया | उसने उनकी बातों को ध्यान से सुना तो समझ गया और बोला – “मैं तुम दोनों की जान बख्श दूंगा, बोलो बदले में क्या दोगी ?”

एक परी बोली – “मैं तुम्हें यह चटाई दूंगी, इस पर बैठकर तुम जहां चाहो जा सकते हो |”

रेम्स ने तुरंत स्वीकृति दे दी क्योंकि वह तो कब से रास्ता भटक रहा था, जल्द ही अपने घर पहुंचना चाहता था |

तभी दूसरी परी बोली – “यह अंगूठी पहन लो, इसे पहन कर तुम अदृश्य हो जाओगे | इसके बाद तुम हर ताकतवर चीज का मुकाबला आसानी से कर सकोगे |”

“रेम्स यह सुनकर खुश हो गया और दोनों चीजें ले लीं | वह चुपचाप भोजन करने बैठ गया, तभी उसने देखा कि डाकुओं ने उसे चारों तरफ से घेर लिया है | उसे कुछ न सूझा तुरंत परी की दी हुई अंगूठी पहल ली और अदृश्य रह कर डाकुओं पर वार करने लगा |”

डाकू घबराकर भाग गए | रेम्स को सहसा विश्वास नहीं हो रहा था | उसने चटाई को भी आजमाने की सोची | वह चटाई पर बैठ गया और लड़ाई के मैदान में पहुंचने का आदेश दिया | कुछ ही क्षणों में वह पड़ोसी राजा के साथ हो रही लड़ाई के मैदान में पहुंच गया |

उधर, अगले दिन सुबह राजा ने अपने सेवकों को रेम्स को बुलाने भेजा ताकि लड़ाई की तैयारियों के बारे में जानकारी ली जा सके | सेवकों ने आकर बताया कि रेम्स गायब है और कमरे में उसका सामान भी नहीं है |

राजा क्रोधित हो उठा | तभी खजाना मंत्री ने बताया कि वह राजखजाने से मोहरें लेकर गया है | अब तो राजा समझ गया कि रेम्स भाग गया है, उसके क्रोध की सीमा नहीं रही | उसने तुरंत आदेश दिया कि रेम्स की खोज की जाए और उसे राजा के सामने पेश किया जाए |

सैनिक चारों दिशाओं में रेम्स की खोज करने चल दिए |

उधर, रेम्स ने अदृश्य रह कर पड़ोसी राजा के सैनिकों के हथियार छीन कर मार-काट शुरू कर दी | सैनिक अदृश्य ताकत को भूत समझ डरकर भागने लगे | पड़ोसी राजा ने अपने सैनिकों से युद्ध मैदान का वर्णन सुना तो तुरंत लड़ाई समाप्त कर शांति का संदेश भेजा |

राजा के सैनिकों ने रेम्स को सेना के साथ नेतृत्व करते हुए लौटते हुए पाया तो वे तुरंत खुशखबरी लेकर राजा के पास पहुंचे |

राजा के पास पड़ोसी देश का शांति दूत भी रेम्स के साथ ही पहुंचा |

राजा को सारी बात सुनकर बहुत हैरानी हुई | उसने पड़ोसी राजा के शांति दूत से बात करने की स्वीकृति प्रदान करके उसे वापस भेज दिया | फिर रेम्स से पूछा – “तुम कहां चले गए थे, रेम्स ?”

रेम्स ने तुरंत बात बनाते हुए कहा – “आपके आदेशानुसार युद्ध समाप्त कराने गया था | मैंने कहा था न कि जो काम कोई न कर सके, सो रेम्स कर दे | अब बताइए क्या आज्ञा है ?”

राजा ने खुश होकर रेम्स का वेतन व पदवी बढ़ा दी | रेम्स ने पहले तो अपने गांव वापस जाने का मन बना रखा था, तुरंत इतनी अच्छी नौकरी व जिंदगी भर का आराम कहां मिल सकता था, सो उसने राजा को स्वीकृति प्रदान कर दी | अब उसे भविष्य में कमाने की चिंता से मुक्ति मिल गई थी | वह चैन से राजा के महल में रहने लगा |

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