बातों का फेर
गांव में किसान के बेटे की शादी का मौका था | घर में खूब रौनक हो रही थी | स्त्रियां घर में खुशी के गीत गा रही थीं | बाहर चबूतरे पर घर के तथा गांव के अनेक लोग जमा थे |
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खूब हंसी-मजाक का माहौल था | सब अपनी-अपनी बातें सुना रहे थे और हंस रहे थे | इस बीच गांव का एक दुकानदार शेखी बघारते हुए बोला – “जानते हो कल क्या हुआ ?”
सब ने पूछा – “क्या हुआ ?”
“मेरी मुलाकात गांव के जमींदार ठाकुर से हुई | ठाकुर साहब ने मुझसे मेरे हाल-चाल पूछे |” दुकानदार बोला |
सारे लोग कहने लगे – “ऐसा तो हो ही नहीं सकता | ठाकुर एक नंबर का घमंडी और खूसट है | किसी से सीधे मुंह बात नहीं करता |
उन सबकी बातों को किसान का अठारह वर्षीय बेटा रोजर सुन रह था | वह बोला – “अरे चाचा, तुम तो मुलाकात की बात करते हो, मैं तो ठाकुर के साथ भोजन करके आ सकता हूं |”
सब लोग सुनकर हंसने लगे | फिर एक बुजुर्ग समझाने लगा – “बेटा सोच-समझकर अपनी हैसियत से बात करते हैं | ऊंचे-ऊंचे ख्वाब नहीं देखा करते | हमारी हैसियत कहां है कि हम ठाकुर के दर्शन भी कर सकें |”
रोजर हंसने लगा | वह बातों में सबसे आगे थे और बुद्धिमान भी था | अपना गुस्सा दबाते हुए बोला – “दादा जी, मैं कोई गप्प नहीं हांक रहा हूं, सच कह रहा हूं |”
दुकानदार रोजर की बात सुनकर मन ही मन खिसियाने लगा | अपना गुस्सा दबाते हुए बोला – “बेटा रोजर, तुमने अगर ठाकुर के घर भोजन करके दिखा दिया तो मैं तुम्हें बड़ा इनाम दूंगा | ज्यादा सपने नहीं देखा करते बच्चे |”
“अच्छा, क्या बड़ा इनाम दोगे ? अपने दोनों घोड़े मुझे दे दोगे ?” रोजर बोला |
“अरे दो घोड़े क्या, एक गाय भी दे दूंगा |” दुकानदार जोश में भरकर बोला, “लेकिन एक बात बताओ, अगर तुम एक दिन के अंदर ठाकुर के साथ भोजन नहीं कर सके तो तुम मुझे क्या दोगे ?”
“ठीक है, मैं तीन वर्ष तक तुम्हारी गुलामी करूंगा |” रोजर बोला |
सब लोग रोजर की तरफ देखने लगे | रोजर ने असंभव को संभव करने जैसी बात कही थी |
अगले दिन सुबह रोजर ठाकुर के यहां पहुंचा तो द्वारपाल ने रोक लिया | रोजर ने उससे कहा – “ठाकुर साहब से पूछकर बताओ कि सोने की ईंटों के बारे में कुछ पूछना है | कहो तो कहीं और जाकर पूछ लूं |”
द्वारपाल ने ठाकुर को सारी बात बताई तो ठाकुर सुनकर मन ही मन जिज्ञासु हो उठा | परंतु ऊपर से शांत रहकर बोला – “लड़के को अंदर ले आओ, उसके साथ भोजन आदि का प्रबंध करो |”
रोजर को इज्जत के साथ भीतर ले जाया गया | वहां मेज पर भोजन और फल लगा दिए गए | थोड़ी देर में ठाकुर आकर रोजर के पास बैठ गया और पूछने लगा – “तुम्हारा क्या नाम है ? तुम्हारे पिता क्या काम करते हैं ?”
रोजर बोला – “मेरा नाम रोजर है | मेरे पिता किसान हें | मैं पूछ रहा था कि सोने की एक ईंट की कीमत क्या होगी ? उसके बदले में क्या-क्या खरीदा जा सकता है ?”
ठाकुर की जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी | वह बोला – “सोने की ईंट की कीमत तो हजारों में होगी | तुम चाहो तो उसके बदले में जमीन-जानवर, बहुत कुछ मिल सकता है | वैसे तो ईंट के वजन पर निर्भर करता है कि ईंट की कीमत क्या है ? ईंट देख लूं तो पता चले | बोलो कितनी ईंटें हैं तुम्हारे पास ? एक या ज्यादा ? जाओ जल्दी से ले आओ | मैं अच्छे दाम दूंगा |” ठाकुर ईंट पाने की लालसा में लगातार बोलता जा रहा था और साथ ही अंगूर खाता जा रहा था |
रोजर चुपचाप बैठा भोजन खा रहा था | ठाकुर को लगा कि शायद रोजर को ईंटों की कीमत कुछ कम लग रही है अत: वह प्यार से बोला – “अरे बेटा, जो चाहोगे सो मिल जाएगा | जितनी जमीन चाहिए उतनी जमीन दे दूंगा, जाओ अपनी ईंटें ले आओ |”
रोजर बोला – “परंतु मेरे पास सोने की ईंटें हैं थोड़े ही, मैं तो यूं ही ईंटों का भाव पूछ रहा था | अगर कल मेरे पास ये ईंटें हों… |”
“भाग यहां से बदमाश, मुझे बेवकूफ बनाता है |” कहकर ठाकुर ने अपने सिपाहियों को जोर से आवाज लगाई |
“अरे आप तकलीफ क्यों करते हैं, मैं स्वयं ही चला जाता हूं |” रोजर बोला – “आप मुझे क्या जमीन-जानवर दोगे ? मुझे तो इस भोजन के बदले ही दो घोड़े और एक गाय मिलने वाली है |”
जमींदार ठाकुर हत्प्रभ होकर बातूनी रोजर को जाते हुए देख रहा था |