असली मर्द
अरब देश की बात है| एक राजा था| उसके बड़े-ठाठ-बाट थे| उसके पास किसी चीज की कमी न थी|
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एक दिन वह राजा लड़ाई पर गया| उसके पास खाने-पीने का सामन इतना था कि उसे लादने के लिए तीन सौ ऊंटों की जरूरत पड़ी|
दुर्भाग्य से वह दुश्मन से हार गया और बंदी बना लिया गया| उसके पास उसका रसोइया खड़ा था|
राजा ने कहा – “मुझे भूख लगी है| कुछ खाने को तैयार कर दो|”
रसोइए के पास मांस का एक टुकड़ा बचा था| उसने उसे देगची में डालकर उबलने को रख दिया| कहीं कुछ साग-सब्जी मिल जाए तो अच्छा होगा, यह सोचकर वह खोज में निकल पड़ा|
इतने में एक कुत्ता वहां आया| मांस की गंध से उसने अपना मुंह देगची में डाल दिया| संयोग से देगची में उसका मुंह अटक गया|
उसने मुंह निकालने की बहुत कोशिश की| जब मुंह न निकला तो देगची को लेकर ही वह वहां से भागा|
राजा ने वह दृश्य देखा तो जोर से हंस पड़ा| पास में एक संतरी खड़ा था| उसने राजा की हंसी सुनी तो उसे बड़ा अचरज हुआ| उसने कहा – “आप इतनी मुसीबत में हैं तब भी हंस रहे हैं| क्या बात है?”
राजा ने जवाब दिया – “मुझे यह सोचकर हंसी आ रही है कि कल तक मेरे रसोई के सामान को ले जाने के लिए तीन सौ ऊंटों की जरूरत होती थी, अब उसके लिए एक कुत्ता ही काफी है|”
किसी ने ठीक ही कहा है कि सुख में तो सभी खुश रहते हैं, लेकिन असली मर्द तो वह है जो मुसीबत में भी हंस सके|