अंतिम पत्थर
एक मछुआरा एकदम तड़के नदी की ओर जाल लेकर जा रहा था| नदी के पास पहुँचने पर उसे आभास हुआ कि सूर्य अभी पूरी तरह नहीं निकला है और चारों और कुछ ज्यादा ही अंधकार फैला हुआ है|
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घने अंधेरे में वह मस्ती और आनंद से टहल रहा था| टहलते-टहलते उसका पैर एक झोले से टकराया| उत्सुकतापूर्वक उसने झोले में हाथ डाला तो पाया कि उसमें बहुत बड़े-बड़े चमकीले पत्थर भरे हुए थे| समय बिताने के लिए मछुआरे ने झोले में से एक-एक पत्थर निकाला और नदी में फेंकता गया| समय बिताने के लिये हम कोई भी कार्य कर लेते हैं| धीरे-धीरे करके उसने झोले के कई पत्थर नदी में फेंक दिये, जब अंतिम पत्थर उसके हाथ में था कि तभी सूर्य की रोशनी धरती पर फैल गयी| सूर्य के प्रकाश में उसने देखा कि उसके हाथ में बचा अंतिम पत्थर बहुत तेज चमक रहा था| उस पत्थर से ऐसी चमक निकलती देखकर वह दंग रह गया| उसके धड़कनें बंद होने को हो गयीं, क्योंकि वह पत्थर नहीं बल्कि अनमोल हीरा था| उसे एहसास हुआ कि अब तक वह करोड़ों रुपये मूल्य के पत्थर नदी में फेंक चुका था| वह फूट-फूटकर रोने लगा| अपने हाथ में बचे अंतिम पत्थर को देख-देखकर वह अंधेरे को कोस रहा था| उसे भरोसा नहीं हो रहा था कि उसने अपने हाथों से इतने कीमती पत्थर नदी में फेंक दिये थे|
वह नदी के किनारे शोकमग्न बैठा था कि इतने में वहाँ एक महात्मा गुजरे| उसका दुःख जानकर वह बोले- ‘बेटे रोओ मत, प्रसन्न होओ| तुम अब भी सौभाग्यशाली हो| यह तुम्हारा सौभाग्य ही है कि अंतिम पत्थर फेंकने से पहले ही सूर्य की रोशनी फूट पड़ी, वरना यह पत्थर भी तुम्हारे हाथों से निकल जाता| यह पत्थर भी बड़ा मूल्यवान है| यह एक हीरा भी तुम्हारी जिंदगी संवार सकता है| जो चीज हाथ से निकल गयी, उसे लेकर रोने के बजाय जो तुम्हारे हाथ में है, तुम्हें उसका उत्सव मनाना चाहिये|’
महात्मा की बात सुनकर मछुआरे की आँखें खुल गयी और वह खुशी-खुशी घर लौट आया| शिक्षा- मनुष्य का गुजरी हुई बातों को भुला देना ही ठीक है| उन बातों पर पछतावा करना ठीक नहीं बल्कि आगे आने वाली बातों पर ध्यान देना परमावश्यक है|