अनोखा हल (बादशाह अकबर और बीरबल)
सर्दी का मौसम था| बादशाह अकबर महल के ऊपरी हिस्से में बैठे हुए सूरज की गरमी ले रहे थे| बीरबल और दूसरे दरबारी विचार-विमर्श कर रहे थे|
“अनोखा हल” सुनने के लिए Play Button क्लिक करें | Listen Audio
यह महल यमुना किनारे था| सर्दी के दिनों में सुबह के वक्त पानी से भाप उठते देखकर बादशाह आश्चर्यचकित रह गए| क्योंकि भाप तो गर्मी पाकर उठती है, लेकिन सर्दी के मौसम में क्यों उठ रही है? उन्होंने अपनी समस्या कुछ इस तरह से रखी:
केहि कारण प्राप्त बफात है पानी?
सभी ने अपने तर्कों से बादशाह अकबर को दलीलें दीं, मगर वे संतुष्ट न हुए| उन्होंने बीरबल की तरफ आशाभरी दृष्टि से देखा|
बीरबल ने तत्काल ही इस समस्या का हल इस प्रकार किया|
एक दिवस सब देख जुरे ओर, समुद्र की आए कीनो मथनी|
पर्वत की रयी डाल दयी, जब शेष की धामिनियों गह लीनी|
खींचती हैं तीनों तिरयी, तब शेष का श्वास समुद्र समानी|
इसका विचार यह है राजन, याही से प्राप्त बफात है पानी|
छंद के रूप में जवाब सुनकर बादशाह अकबर ने बीरबल को ढेर सारा इनाम दिया|