अंधों की सूची (बादशाह अकबर और बीरबल)
बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा-“बीरबल, हमारे नगर में कितने अंधे होंगे?”
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“जहांपनाह, गिनती तो मालूम नहीं, किन्तु यह यकीन के साथ कह सकता हूं कि अंधों की संख्या आंख वालों से अधिक है|”
बादशाह अकबर को बीरबल का जवाब सुनकर हैरानी तो हुई, पर उन्होंने बीरबल को अन्धों की सूची बनाने के लिए कहा| बीरबल ने इसके लिए हामी भर दी और एक सप्ताह का समय मांगा… जो बादशाह अकबर ने दे दिया|
बीरबल ने पांच दिन तो घर पर बैठकर आराम किया और छठे दिन बाजार में बैठकर जूठे बनाने लगा| बीरबल को जूते बनाते देख जो भी व्यक्ति वहां से गुजरता तो पूछता, “बीरबल यह क्या कर रहे हो?”
बीरबल सभी को बड़े अदब से जवाब देता कि जूते बना रहा हूं और उनके नाम पूछकर एक सूची में लिख लेता|
शाम को बादशाह अकबर भी उसी बाजार से होकर निकले तो उन्होंने भी बीरबल को देखकर पूछा – “बीरबल यह क्या कर रहे हो?”
“हुजूर, जूते बना रहा हूं|” बीरबल ने जवाब दिया और बादशाह अकबर का नाम भी सूची में लिख दिया|
इसी तरह शाम ढलने तक नगर के लगभग सभी लोग बीरबल से यह सवाल कर चुके थे और बीरबल ने उन सभी के नाम लिखकर एक बहुत ही लंबी सूची तैयार कर ली थी|
सातवें दिन बीरबल दरबार में हाजिर हुआ और वह सूची बादशाह अकबर को सौंप दी| बादशाह अकबर ने जब उसमें अपना नाम भी देखा तो चौककर पूछा – “बीरबल, इसमें तो हमारा नाम भी है? किन्तु मैं तो अंधा नहीं हूं|”
“हुजूर! यह सूची उन लोगों की है जो मुझे चौक पर जूते बनाते हुए देखकर भी यह पूछ रहे थे कि मैं क्या कर रहा हूं, और हुजूर आपने भी तो यही सवाल किया था, अब आप सोचिए, ये सब लोग अंधे हुए न|”
बीरबल का जवाब सुनकर बादशाह अकबर को महसूस हुआ कि वाकई सभी अंधों के समान ही हैं| उन्होंने बीरबल की बुद्धिमत्ता की तारीफ की|