अकबर का सवाल (बादशाह अकबर और बीरबल)
दरबार में एक दिन बीरबल उपस्थित नहीं था, इसलिए कई दरबारी बीरबल की बुराइयां करने लगे| उनमें से चार दरबारी जो बीरबल के खिलाफ कुछ अधिक ही जहर उगल रहे थे, उनसे बादशाह अकबर ने एक सवाल पूछा-“इस संसार में सबसे बड़ी चीज क्या है?”
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उन चारों की बोलती बंद हो गई, तब अकबर ने उन्हें सीधा करने के उद्देश्य से फिर कहा – “तुम चारों तो बहुत समझदार हो, जल्दी बताओ, वरना चारों को फांसी की सजा दे दूंगा|”
फांसी की बात सुनकर उनके चेहरों पर हवाइयां उड़ने लगीं| उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दें| कोई खुदा को सबसे बड़ा बताता तो एक ने बादशाह अकबर की सल्तनत को बड़ा बताया| बादशाह अकबर ने जब उन्हें पुन: डांटा तो वे चुप हो गए और सोचने लगे| कुछ सोचकर उनमें से एक ने बादशाह से जवाब के लिए कुछ दिन का समय मांगा|
बादशाह अकबर ने उन्हें तीन दिन का समय दे दिया और कहा कि तीन दिन बाद भी उन्हें यदि उत्तर न मिला तो उनकी मौत निश्चित है|
अन्तत: उन चारों को उत्तर के लिए बीरबल की शरण में ही जाना पड़ा| बीरबल ने उन चारों से कहा – “मैं तुम्हें बादशाह के गुस्से से बचा लूंगा और उनके सवाल का जवाब दे दूंगा…किंतु मेरी शर्त है|”
“हमें सारी शर्तें मंजूर हैं|”
“ठीक है, तुम चारों में से दो लोग मेरी चारपाई को कंधा दो और एक मेरा हुक्का पकड़े और दूसरा मेरे जूते, इस तरह बादशाह के दरबार तक ले जाया जाए|” बीरबल ने कहा|
उन चारों के सिर पर तो मौत मंडरा रही थी, अत: उन्होंने तुरन्त यह शर्त मान ली| बीरबल चारपाई पर बैठ गया, दो जनों ने उसकी चारपाई उठा ली, एक ने हुक्का पकड़ा और दूसरा उसके जूते लेकर चला दिया| इस तरह वे सभी दरबार में पहुंच गए|
बीरबल को इस तरह दरबार में आता देखकर बादशाह अकबर ने पूछा – “बीरबल, यह क्या माजरा है?”
“जहांपनाह, मुझे लगता है आपको आपके सवाल का जवाब मिल गया होगा| इस संसार में सबसे बड़ी चीज जरूरत (गर्ज) है, जिसके लिए इंसान कुछ भी करने को तैयार हो जाता है, उदाहरण आपके सामने मौजूद है|”
बादशाह अकबर ने उन चारों की ओर देखा जो मुंह लटकाए खड़े थे| वे चारों भी यह समझ गए थे कि यही उनकी गुस्ताखी की सजा है, जो उन्हें बादशाह अकबर ने अलग ही अंदाज में दी है|