खिलौना पुल (तेनालीराम) – शिक्षाप्रद कथा
राजा कृष्णदेव राय का दरबार हमेशा की तरह दरबारियों से सजा हुआ था|तभी एक गांव से आए हुए कुछ लोगों ने कृष्णदेव राय से प्रार्थना की – “महाराज हमारे गांव के पास एक नदी बहती है जिसका पाट बहुत चौड़ा न होने की वजह से कहीं भी आने जाने में बहुत दिक्कत आती है| इस पाट को पार करने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है| बारिशों के दिनों में नदी का पानी उफान पर होता है जिससे यात्रियों को आने-जाने में दिक्कत तथा उनकी जान को खतरा बना रहता है इसलिए हम सभी आपसे ये प्रार्थना करते हैं कि आप उस पर एक पक्का पुल बनवा दें|”
राजा कृष्णदेव राय को गांव वालों की बात सही लगी और उन्होंने अपने दरबारियों से सलाह मशवरा करके नदी के पाट पर पुल बनाने की आज्ञा दे दी|
लोगों को इस बात का पता चला तो सभी लोग अपनी-अपनी तरफ से जोर लगाने लगे कि पुल बनाने का ठेका उन्हने मिल जाये| परन्तु राजा कृष्णदेव राय का एक मंत्री तथा पुरोहित हर किसी के काम में कोई न कोई नुक्स निकालकर उसे वापिस कर देते| अन्त में मंत्री ने पुल बनाने का ठेका अपने भतीजे कियो दिलवा दिया|
राजा कृष्णदेव राय अपने दरबारियों से पुल बनाने के कार्य के बारे में पूछते रहे| अंत में वो दिन भी आ गया जब मंत्री के भतीजे ने दरबार में राजा कृष्णदेव राय को आकर कहा कि महाराज, पुल बन गया है| यह सुनकर राजा कृष्णदेव राय काफी खुश हुए और उन्होंने मंत्री के भतीजे को काफी इनाम दिये| ये देखकर सभी दरबारी राजा की जय-जयकार करने लगे|
अंत में जब राजा कृष्णदेव राय खुश होकर मंत्री के भतीजे को अपने गले का हार देना चाह रहे थे तो उनकी नज़र तेनालीराम की ओर पड़ी जो अपनी कुर्ते की जेब में से कोई चीज़ कभी बाहर निकालते तो कभी अन्दर रखते थे| यह देखकर राजा ने तेनालीराम से कहा- “तेनालीराम, हमसे क्या छिपा रहे हो| ज़रा हमें भी तो दिखाओ भई तुम्हारी जेब में क्या है?”
यह सुनकर तेनालीराम ने अपनी जेब में से वो चीज़ निकालकर दिखलाई और बोले – “यह लीजिये महाराज, नदी के पाट पर बिल्कुल इसी लकड़ी के खिलौने (जो पुल बना हुआ था) की तरह ही पुल बनाया गया है|”
राजा कृष्णदेव राय को ये देखकर गुस्सा आ गया और उन्होंने फौरन ही मंत्री के भतीजे को पकड़वा कर कैद में डाल दिया और नदी के घाट पर तेनालीराम को पुल बनवाने की जिम्मेदारी सौंप दी|