जैसे को तैसा – शिक्षाप्रद कथा
भैंस और घोड़े में लड़ाई हो गयी| दोनों एक ही जंगल में रहते थे| पास-पास चरते थे और एक ही रास्ते से जाकर एक ही झरने का पानी पीते थे| एक दिन दोनों लड़ पड़े| भैंस ने सींग मार-मारकर घोड़े को अधमरा कर दिया|
घोड़े ने जब देख लिया कि वह भैंस से जीत नहीं सकता, तब वह वहाँ से भागा| वह मनुष्य के पास पहुँचा| घोड़े ने उससे अपनी सहायता करने की प्रार्थना की|
मनुष्य ने कहा – भैंस के बड़े-बड़े सींग हैं| वह बहुत बलवान् है, मैं उसे कैसे जीत सकूँगा|
घोड़े ने समझाया – मेरी पीठपर बैठ जाओ| एक मोटा डंडा ले लो| मैं जल्दी-जल्दी दौड़ता रहूँगा| तुम डंडे से मार-मारकर भैंस को अधमरी कर देना और फिर रस्सी से बाँध लेना|
मनुष्य ने कहा – मैं उसे बाँधकर भला क्या करूँगा?
घोड़े ने बताया – भैंस बड़ा मीठा दूध देती है| तुम उसे पी लिया करना|
मनुष्य ने घोड़े की बात मान ली| बेचारी भैंस जब पिटते-पिटते गिर पड़ी, तब मनुष्य ने उसे बाँध लिया| घोड़े ने काम समाप्त होने पर कहा – अब मुझे छोड़ दो| मैं चरने जाऊँगा|
मनुष्य जोर-जोर से हँसने लगा| उसने कहा – मैं तुमको भी बाँधे देता हूँ| मैं नहीं जानता था कि तुम मेरे चढ़ने के काम आ सकते हो| मैं भैंस का दूध पीऊँगा और तुम्हारे ऊपर चढ़कर दौड़ा करूँगा|
घोड़ा बहुत रोया| बहुत पछताया| अब क्या हो सकता था| उसने भैंस के साथ जैसा किया, वैसा फल उसे खुद ही भोगना पड़ा|
‘जो जस करइ सो तस फलु चाखा||’