जैसा दोगे, वैसा पाओगे – शिक्षाप्रद कथा
एक बार एक बाज एक कबूतर का पीछा करते हुए एक बहेलिए के जाल में फंस गया| बाज ने फड़फड़ाकर जल काटने की कोशिश की, मगर नाकाम रहा| तभी उसने बहेलिए को आते देखा| वह भय से कांप गया|
वह दयनीय दृष्टि से बहेलिए को देखकर कहने लगा – “श्रीमान, मैंने आपको कभी कोई हानि नहीं पहुंचाई है और न ही भविष्य में ऐसी कोई सम्भावना है| तो फिर आपने मुझे क्यों पकड़ लिया है? आपसे प्रार्थना है कि कृपया मुझे अपने जाल से स्वतंत्र कर दें|”
यह सुनकर बहेलिया हंसा और कहने लगा – “मैं जानता हूं कि तुमने मुझे कोई हानि नहीं पहुंचाई है, मगर यह बताओ कि कबूतर ने तुम्हें कौन-सा कष्ट दिया था? एक कबूतर तुम्हें कोई हानि नहीं पहुंचा सकता, मगर फिर भी तुम उसे मारना चाहते थे| सुनो हे बाज! मैं तुम्हें आजाद नहीं कर सकता| तुम्हारे साथ वही होगा, जो होना चाहिए|”
शिक्षा: दूसरों से वैसा ही बर्ताव करें, जैसा आप अपने लिए चाहते हैं|