दुष्ट कौआ सीधी बकरी – शिक्षाप्रद कथा
एक कौआ कहीं से उड़ता हुआ आया और मैदान में चरती हुई एक बकरी की पीठ पर बैठ गया| बकरी ने कौए की अनदेखी कर दी और उससे अपनी पीठ पर से हट जाने के लिए नहीं कहा| अब तो कौए की हिम्मत बढ़ गई| उसने बकरी की पीठ पर चोंच मारनी आरम्भ कर दी| बकरी बहुत देर तक यह भी सहन करती रही| परंतु जब कौआ अधिक जोर से चोंच मारने लगा तो वह बोली – “ओ कौए, क्यों मुझे परेशान कर रहा है? मैं तो एक सीधी-साधी बकरी हूं| किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती| अपने काम से काम रखती हूं| फिर भी क्या कारण है कि तुम मुझे चोंच मार रहे हो| अगर ऐसा ही करना है तो किसी कुत्ते या बिल्ली की पीठ पर बैठकर चोंच मारो|”
“ओ बकरी!” कौआ बोला – “मैं मुर्ख नहीं हूं, मैं जानता हूं कि अगर मैं बिल्ली, कुत्ते या किसी अन्य जानवर पर चोंच मारूंगा तो वे मुझ पर हिंसक रूप से हमला करेंगे और मई घायल हुए बिना नहीं रहूंगा| तो फिर इसमें आनन्द ही क्या रहेगा| मैं चोंच मारने से पहले देख लेता हूं कि जानवर कितना सीधा-साधा और सज्जन है| याद रखो प्रकृति का एक अनकहा कानून है कि दर्जन सज्जन को यातनाएं देता है|” यह कहकर कौआ एक ओर उड़ गया|
शिक्षा: दुर्जनों से सज्जनता की आशा न करो|