बूढ़ी औरत तथा डॉक्टर – शिक्षाप्रद कथा
एक बार एक बूढ़ी औरत, जिसकी नजर कमजोर हो चुकी थी, एक नेत्र चिकित्सक के पास गई| नेत्र चिकित्सक ने महिला की जांच की और उसके नेत्रों का ऑपरेशन कर उसे उसके घर भेज दिया| महिला बहुत प्रसन्न थी कि डॉक्टर कितना भला है कि उसने उसके घर आकर मरहम-पट्टी करने का वादा किया है| वह डॉक्टर को धन्यवाद देकर अपने घर वापस आ गई| परंतु उस महिला को डॉक्टर के बारे में यही जानकारी नहीं थी|
अगले दिन डॉक्टर आया| उसकी आंखों की पट्टियां हटाईं| टांकों की जांच की और आंखों पर दवा आदि लगाकर नई पट्टियां बांध दीं| जब तक महिला के नेत्रों पर पट्टिया बंधी रहतीं, वह कुछ भी नहीं देख सकती थी|
डॉक्टर को चोरी करने की आदत थी| वह महिला की बीमारी का नाजायज लाभ उठा रहा था| वह प्रत्येक दिन जब महिला के घर से वापस जाता तो उसके घर में रखी कोई मूल्यवान वस्तु उठा कर ले जाता|
अंत में वह दिन भी आया, जब महिला के नेत्रों का इलाज हो गया| डॉक्टर ने अपनी फीस मांगी| बूढ़ी महिला ने फीस देने से इन्कार कर दिया| उसका कहना था कि उसकी नजर पहले से भी अधिक खराब हो चुकी थी| उसे कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था|
डॉक्टर मामले को अदालत में ले गया| न्यायाधीश ने ध्यान से डॉक्टर की बातें सुनीं और फिर बूढ़ी महिला को पूछताछ के लिए बुलाया|
बूढ़ी महिला ने कहा – “आदरणीय श्रीमान! यह सही है कि इस नेत्र विशेषज्ञ ने मेरे नेत्रों का उपचार किया था| मगर फीस मैं तभी दूंगी, जब मेरे नेत्रों का पूरा इलाज हो जाएगा| श्रीमान, इलाज से पहले मैं अपने घर में रखी सभी मूल्यवान वस्तुएं देख सकती थी| यह डॉक्टर इतना भला था कि रोज मेरे घर में आकर मेरी आंखों की पट्टियां बदलता था| मैं तो लगभग एक हफ्ते एक आंखों पर पट्टियां बांधे रही| परंतु जब आंखों से पट्टियां हटाई गईं तो मुझे अपने घर में कोई भी सामान दिखाई नहीं दिया|”
न्यायाधीश सब कुछ समझ गया| उसने नेत्र चिकित्सक को लताड़ा और उसको महिला का सभी सामान वापस करने के लिए आदेश दिया|
शिक्षा: किसी की मजबूरी का नाजायज फायदा न उठाएं|