भेड़िया और मेमना – शिक्षाप्रद कथा
एक बार एक भेड़िया किसी पहाड़ी नदी में एक ऊंचे स्थान पर पानी पी रहा था| अचानक उसकी नजर नीचे एक भोले-भाले मेमने पर पड़ी, जो पानी पी रहा था| भेड़िया मेमने को देखकर अति प्रसन्न हुआ और सोचने लगा – ‘वर्षों बीत गए, मैंने किसी मेमने का मांस नहीं खाया| यह तो छोटी उम्र का है| बड़ा मुलायम मांस होगा इसका| आह! मेरे मुंह में तो पानी भी आ गया| क्या ही अच्छा होता जो मैं इसे खा पाता|’
और अचानक वह भेड़िया चिल्लाने लगा – “ओ गंदे जानवर! क्या कर रहे हो? मेरा पीने का पानी क्यों गंदा कर रहे हो? यह देखो पानी में कितना कूड़ा-करकट मिला दिया है तुमने?”
मेमना उस विशाल भेड़िए को देखकर सहम गया| भेड़िया बार-बार अपने होंठ चाट रहा था| उसके मुंह में पानी भर आया था| मेमना डर से कांपने लगा| भेड़िया उससे कुछ गज के फासले पर ही था| फिर भी उसने हिम्मत बटोरी और कहा – “श्रीमान! आप जहां पानी पी रहे हैं, वह जगह ऊंची है| नदी का पानी नीचे को मेरी ओर बह रहा है| तो श्रीमान जी, ऊपर से बह कर नीचे आते हुए पानी को भला मैं कैसे गंदा कर सकता हूं?”
“खैर, यह बताओ कि एक वर्ष पहले तुमने मुझे गाली क्यों दी थी?” भेड़िया क्रोध में दांत पीसता हुआ कहने लगा|
“श्रीमान जी! भला ऐसा कैसे हो सकता है? वर्ष भर पहले तो मेरा जन्म भी नहीं हुआ था| आपको अवश्य कोई गलतफहमी हुई है|” मेमना इतना घबरा गया था कि बेचारा बोलने में भी लड़खड़ाने लगा|
भेड़िए ने सोचा मौका अच्छा है तो कहने लगा – “मूर्ख! तुम एकदम अपने पिता के जैसे हो| ठीक है, अगर तुमने गाली न दी थी तो फिर वह तुम्हारा बाप होगा, जिसने मुझे गाली दी थी| एक ही बात है| फिर भी मैं तुम्हें नहीं छोड़ूंगा| मैं तुमसे बहस करके अपना भोजन नहीं छोड़ सकता|”
यह कहकर भेड़िया छोटे मेमने पर टूट पड़ा| उसने मेमने की दर्दभरी चीख-पुकार और जीवन दान की प्रार्थना अनसुनी कर दी और मेमने के टुकड़े-टुकड़े कर दिए|
मेमने का नरम-मुलायम मांस खाते समय भेड़िया मन ही मन मुस्करा रहा था|
शिक्षा: बुरे या झगड़ालू प्रकार के लोग झगड़े का कोई न कोई कारण खोज ही लेते हैं|