बन्दर और लोमड़ी – शिक्षाप्रद कथा
बहुत समय पहले की बात है| जंगल का राजा शेर बूढ़ा होकर काल के गाल में समा गया| राजा की मृत्यु के बाद जंगल के सभी जानवरों ने नया राजा चुनने के लिए एक सभा की|राजा बनने के लिए बहुत से जानवर उतावले थे, मगर कोई भी इस पद के योग्य नहीं पाया गया| काफी देर तक चली बहस के बाद एक बंदर को, जो शारीरिक रूप से बहुत विशाल था, राजा मनोनीत किया गया| यह बंदर अपनी चालाकी और हास्यजनक उछल-कूद के लिए भी मशहूर था| यह राजा बनने की दिशा में उसकी अतिरिक्त योग्यताएं थीं|
परंतु एक लोमड़ इस चुनाव से संतुष्ट नहीं था| वह स्वयं राजा बनना चाहता था| एक बंदर उस पर शासन करे, यह बात उसे स्वीकार नहीं थी|
एक दिन प्रात: काल वह बंदर के पास जाकर बोला – “महाराज! आपकी जय हो| मेरे पास आपके लिए बहुत अच्छी खबर है| मगर यह आपको अपने तक ही रखनी होगी|”
बंदर यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ और उत्सुकतापूर्वक बोला – “हां-हां! बताओ, क्या समाचार है?” बंदर ने कौतूहल से पूछा|
“महाराज, मैंने पास के एक जंगल में एक छुपा हुआ खजाना खोज निकाला है|” लोमड़ बोला – “अब आप चूंकि राजा हैं, अत: वह सारा धन आपका ही होना चाहिए, इसीलिए मैंने उस धन को वहीं रखा हुआ है| आइए मैं आपको दिखाऊं|”
बंदर बिना एक क्षण बरबाद किए लोमड़ के साथ जाने के लिए तैयार हो गया| लोमड़ उसे एक ऐसे गड्ढे के पास ले आया, जिसमें ऊंची-ऊंची घास तथा झाड़ियां उगी हुई थीं|
“वहां!” लोमड़ फुसफुसाकर बोला – “जहां लंबी घास है, आप वहां हाथ डालिए, आपको खजाना मिल जाएगा|”
बंदर ने वैसा ही किया| मगर जैसे ही बंदर ने घास में अपना हाथ डाला ‘क्लिक’ की आवाज हुई और उसका हाथ फन्दे में फंस गया|
अब लोमड़ हंसने लगा – “हो…हो…! तुम भी कैसे राजा हो? जब तुम्हें स्वयं अपना ही होश नहीं है, तो तुम इतने बड़े जंगल पर राज कैसे करोगे?” यह कहते हुए लोमड़ हंसता हुआ एक ओर भाग गया|
शिक्षा: बिना बुद्धि के सफलता प्राप्त नहीं होती|