अधजल गगरी छलकत जाए – शिक्षाप्रद कथा
एक बार एक किसान को पास के एक दूसरे गांव में जाना पड़ा| गांव पहुंचने के लिए एक नदी पर करना आवश्यक था| समस्या तब उत्पन्न हुई, जब वह नदी के किनारे पहुंचा| किसान को तैरना नहीं आता था| वहां नावें भी नहीं थीं| सो उसके पास एक ही रास्ता था कि वह नदी उन्हीं स्थानों से पैदल पार करे, जहां पानी की गहराई बहुत कम थी| मगर उसके सामने एक दूसरी समस्या यह थी कि उसे यह नहीं मालूम था कि नदी में किस स्थान पर पानी की गहराई कम है|
तभी उसके गांव का एक दूसरा आदमी वहां आ गया| जब उसने किसान को किसी गहरे सोच में खोए हुए देखा तो उत्सुकतावश पूछ बैठा – “मित्र, आखिर समस्या क्या है? बहुत दुखी दिखाई दे रहे हो| क्या मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकता हूं?”
किसान ने उसे अपनी समस्या बताई| उसे सुनकर वह आदमी हंसा और कहने लगा – “मित्र, यह तो बहुत सरल है! तुम इतने दुखी क्यों होते हो| देखो, जिस स्थान पर नदी गहरी है, वहां का जल शांत होगा| इसके विपरीत उथला पानी हमेशा शोर करने वाला होगा|” वह आदमी दोबारा हंसा और कहने लगा – “यह सार्वभौम सत्य है! क्या तुमने कभी यह कहावत नहीं सुनी, अधजल गगरी छलकत जाए, भरी गगरिया चुपके जाए|”
शिक्षा: गुणगान सरल गम्भीर रहते हैं|