ऐसा राम हमारे आवै
ऐसा राम हमारे आवै ।
बार पार कोइ अंत पावै ॥टेक॥
हलका भारी कह्या न जाइ ।
मोल-माप नाहिं रह्या समाइ ॥
किअम्त लेखा नहिं परिमाण ।
सब पचि हार साध सुजाण ॥२॥
आगौ पीछौ परिमित नाहीं ।
केते पारिष आवहिं जाहीं ॥३॥
आदि अंत-मधि लखै न कोइ ।
दादू देखे अचरज होइ ॥४॥
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