सगुण के बिना निर्गुण का निरूपण संभव नहीं है – भक्त तुलसीदास जी दोहावली
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ग्यान कहै अग्यान बिनु तम बिनु कहै प्रकास|
निरगुन कहै जो सुगन बिनु सो गुरु तुलसीदास||
प्रस्तुत दोहे में तुलसीदासजी कहते हैं कि जो अज्ञान का कथन किए बिना ज्ञान का प्रवचन करे, अंधकार का ज्ञान कराए बिना ही प्रकाश का स्वरूप बतला दे और सगुण को समझाए बिना ही निर्गुण का निरूपण कर दे, वह मेरा गुरु है कहने का तात्पर्य यह है कि अज्ञान के बिना ज्ञान, अंधकार के बिना प्रकाश और सगुण के बिना निर्गुण की सिद्धि नहीं हो सकती, निर्गुण कहते ही सगुण की सिद्धि हो जाती है|