भारत में वोटरशिप अधिकार कानून बनाने से प्रत्येक परिवार की आर्थिक आजादी सुनिश्चित होने के साथ ही सारे विश्व को ऐसा कदम उठाने की प्रेरणा मिलेगी! – प्रदीप कुमार सिंह
प्रथम अंतर्राष्ट्रीय बचत कांग्रेस का आयोजन मिलान शहर (इटली) में वर्ष 1924 में किया गया था। इस अवसर पर 31 अक्टूबर को विश्व बचत दिवस के रूप में प्रतिवर्ष मनाने की घोषणा की गयी थी। विश्व बचत दिवस की स्थापना दुनिया भर के लोगों को अपने पैसे की बचत, घर पर या अपने गद्दे के नीचे रखकर करने के बजाए बैंक में जमा करने के बारे में जागरूक करने के लिए की गई थी। 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के निधन के कारण सारे भारत में विश्व बचत दिवस प्रतिवर्ष 30 अक्टूबर को मनाया जाता हैं।
यह एक वैश्विक उत्सव है जो विशेष रूप से जिम्मेदार खुदरा और बचत बैंकों, सांस्कृतिक संगठनों, खेल निकायों और कुशल एजेंसियों द्वारा मनाया जाता हैं। विश्व बचत दिवस हमें सुरक्षित रहने के लिए नियमित रूप से बचत के महत्व की याद दिलाता है। बचत एक सपने या लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी एक व्यक्ति की सहायता करती है जैसे कि व्यापार शुरू करना, स्वास्थ्य देखभाल-उपचार करना, अच्छी शिक्षा प्राप्त करना या घर खरीदना आदि।
विश्व बचत दिवस सभी व्यक्तियों और समस्त राष्ट्रों की बचत एवं वित्तीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए विश्व भर में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य हमारे व्यवहार को बचत की दिशा में बदलना तथा हमें लगातार धन के महत्व की याद दिलाना है। बचत का धन वित्तीय संकट का सामना करने के दौरान सुरक्षा गार्ड का कार्य करता हैं। यह हमें व्यवसाय की शुरूआत करने, अच्छी शिक्षा प्राप्त करने तथा अच्छे स्वास्थ्य उपचार का लाभ उठाने में भी मदद करता है। बचत की आदत व्यक्ति के साथ-साथ देश दोनों को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करती है।
स्वास्थ्य कैसे धन बनता है? स्वस्थ जीवन शैली धन को बढ़ावा दे सकती है। स्वास्थ्य में सुधार, स्वास्थ्य खर्चों को कम कर सकता है। बचत में बढ़ोत्तरी से ऋण से बचाव एवं तनाव को दूर किया जा सकता है। यह आपको स्वास्थ्य आपातकालीन स्थिति के लिए तैयार करता हैं। बचत मानसिक सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा भी प्रदान करती है। बचत लंबा जीवनयापन करने के लिए सकारात्मक रवैये का नेतृत्व भी करती है। स्वस्थ जीवन शैली, कई जानलेवा रोगों जैसे कि दिल का दौरा, स्ट्रोक, कैंसर तथा अन्य रोगों के जोखिम को कम करती है। चिकित्सा बीमा के लिए हमेशा जाएँ।
हम पैसे की बचत कैसे कर सकते हैं? हम अपने खर्चों को नियंत्रित करके बजट बनाकर बचत शुरू कर सकते है। बुद्धिमानी से अपना पैसा खर्च करें। केवल आवश्यक एवं जरूरत की चीजें ही खरीदें। ‘जरूरत’ व ‘लालच’ के बीच भेद करें। प्रत्येक व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति अपने बिजली, पानी तथा अन्य बिलों के बजट में कटौती करें। बचत के लिए अपना लक्ष्य निर्धारित करें। साथ ही लाभकारी योजनाओं में निवेश करें आदि-आदि।
पहला विश्व बचत दिवस 1925 में मनाया गया था। कई देशों में बचत को देश और जनता दोनों की परिपक्वता के चरण के रूप में माना जाता है। पैसे बचाने के लिए बेहतर रहना और अर्थव्यवस्था को सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण है। विश्व बचत दिवस को प्रचार और शैक्षिक फिल्मों, प्रसारण, कोरस गायन, प्रेस लेख, पत्रक, ब्रोशर, व्याख्यान और पोस्टर के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाता है। बैंकों ने महिला संगठनों, पेशेवरों, खेल संघों, पादरी, स्कूलों और अन्य कई संगठनों से समर्थन प्राप्त किया। विश्व बचत दिवस को मूल रूप से नैतिक और आर्थिक वृद्धि के मिशन के रूप में बढ़ावा दिया गया था।
आज भी बचत शिक्षा विकसित देशों में बेहद लोकप्रिय है क्योंकि उन देशों के अधिकांश लोग पैसे बचाने में विश्वास करते हैं और व्यावहारिक रूप से ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जिसका कोई बैंक खाता नहीं है। बचत के प्रति प्रेरणादायक लोगों की अवधारणा अभी भी चुनौतीपूर्ण है जहां विकासशील देशों में बचत खाते का अनुपात बहुत कम है और मुश्किल से 10 प्रतिशत से अधिक हो पाता है। बचत बैंक विभिन्न विकास और अभियानों के साथ विकासशील देशों में बचत को बढ़ावा देने में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। गरीबों की बचत खातों की संख्या बढ़ाने के लिए बचत बैंक बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ भी काम करते हैं।
विश्व बचत दिवस का सदस्य देशों के स्कूलों जैसे शैक्षणिक संस्थानों में भी बचत को बढ़ावा देना है और इस प्रकार स्कूलों में विभिन्न बचत आंदोलनों की योजना बनाई गई थी। बचत सप्ताह में विशेष पाठयक्रम बच्चों को ‘बचत’ के गुणों के बारे में सिखाने के लिए तैयार किये गए थे। स्कूलों में सेविंग्स बैंक पासबुक और मनी बाक्स प्रसारित किए गए थे। इस प्रकार विश्व बचत दिवस जाहिर तौर पर स्कूल बचत को काफी हद तक प्रभावित करता है।
प्रारंभ में विश्व बचत दिवस आंशिक रूप से एक शैक्षणिक गतिविधि थी। वल्र्ड सेविंग्स बैंक इंस्टीटयूट ने कहा कि बचत एक प्रथा है और एक ऐसी संपत्ति है जो एक व्यक्ति, एक राष्ट्र और पूरे समुदाय की सामाजिक प्रगति के लिए आवश्यक है। इस प्रकार विश्व बचत बैंक कांग्रेस ने भविष्य के ग्राहकों को शिक्षित करने के लिए सबसे भरोसेमंद भागीदार के रूप में स्कूलों का सहारा लिया। यह सुझाव दिया गया था कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए बचत करने की शिक्षा महत्वपूर्ण है ताकि उनका पैसा समझदारी से उपयोग किया जा सके। भविष्य की किसी भी प्रतिकूल परिस्थितियों और अनिश्चितताओं के खिलाफ लोगों के भविष्य की सुरक्षा के लिए बचत भी एक महत्वपूर्ण तत्व है। यह भी जरूरी है कि लोगों को अपनी कड़ी मेहनत का पैसा बचाने के लिए जुआ और लाटरी का खेल खेलने से बचना चाहिए।
यह एक सच्चाई है कि बचत में कई बाधाएं हैं। चूंकि बेरोजगारी और गरीबी की उच्च दर अभी भी दुनिया के कई हिस्सों में जोरों पर है। लोगों को अपने पैसे बचाने के लिए शिक्षित करना बहुत महत्वपूर्ण है। जीवन के बुरे दिनों से निपटने के लिए बचत महत्वपूर्ण होती है। यह विशेष रूप से दिन के लिए महत्वपूर्ण होता है जब बीमारी, नौकरी, विकलांगता या बुढ़ापे जैसे कई कारणों से आय उत्पन्न करने में बाधा आती है। बचत निवेश के लिए और अधिक आय अर्जित करने के लिए भी आधार बनती है। इस दिवस को विभिन्न देशों में विभिन्न शैलियों में मनाया जाता है। हालांकि अधिकांश देशों का फोकस एक ही रहता है यानी पैसे बचाने के महत्व के बारे में लोगों को शिक्षित करना।
खुदरा बैंक और बचत बैंक विभिन्न तरीकों से बचत के लाभों के बारे में लोगों को शिक्षित करने में कई कदम उठाते हैं। इस तरह के कदमों में से प्रत्येक व्यक्ति के लिए बचत खाता खोलना और पैसा जमा करना आसान करना शामिल है। ग्राहकों को औपचारिक बचत बैंक खाते रखने के महत्व के बारे में भी सूचित किया जाता है। चूंकि दुनिया में बैंक खातों में से अधिकांश बचत खाते हैं इसलिए इसे रखना सबसे महत्वपूर्ण स्वरूपों में से एक है।
बचत क्रांति लोगों की बचत की प्रथा को बढ़ावा देने में मदद करती है और छोटे निवेशकों को अच्छी सहायता प्रदान करती है। यह देश के नियोजित आर्थिक और सामाजिक विस्तार के लिए जरूरतों को पूरा करने के लिए धन जुटाने में भी मदद करती है। भारत में बचत बुढापे के समय के लिए एकत्रित धन है। भारत दुनिया के विकासशील अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा बचत दर रखने वाले कुछ देशों में से एक है। छोटी बचत ने भारत के योजनाबद्ध लाभप्रद विकास के लिए छोटे बचतकर्ताओं द्वारा की गई बचत को नियंत्रित करने में बड़ी भूमिका निभाई है।
‘स्वास्थ्य ही धन है’ लेकिन आज की दुनिया में धन स्वास्थ्य की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है। छोटी-छोटी बूंदों से सागर बनता हैं। राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को छोटी-छोटी बचत गति प्रदान करती है। स्मरण योग्य महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं – बचत बीमारी, बेरोजगारी एवं अन्य आर्थिक परेशानियों के जोखिम के खिलाफ सुरक्षा गार्ड है। आपकी छोटी-सी बचत राष्ट्र के विकास में योगदान दे सकती हैं। व्यवस्थित बचत एवं निवेश अच्छा रिटर्न प्रदान करता है। व्यर्थ व्यय की रोकथाम से बचत पर्यावरण के संरक्षण में मदद करती है।
प्रसिद्ध आर्थिक तथा सामाजिक चिन्तक विश्वात्मा भरत गांधी का कहना है कि भारत एक गरीब देश है। अति आधुनिक मशीनी, कम्प्यूटर-रोबोट तथा वैश्विक बाजार की प्रतिस्पर्धा के युग में प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार तथा नौकरी देना संभव नहीं है। बुलडोजर ने अनपढ़ों का तथा कम्प्यूटर ने शिक्षित लोगों का रोजगार छीन लिया है। वहीं वैश्विक उदारीकरण ने छोटे-छोटे व्यापारियों का धन्धा छीन लिया है। हमारे देश की अधिकांश जनता आर्थिक तंगी में जी रही है। ऐसी आर्थिक तंगी में जी रही जनता से बचत करने की अपील करना एक प्रकार का उसकी गरीबी का मजाक उड़ाना है। देश के प्रत्येक वोटर को वोटरशिप अधिकार कानून बनाकर उसके हिस्से की आधी धनराशि जो कि एक अनुमान के अनुसार वर्तमान में लगभग छः हजार रूपये मासिक होती है सीधे प्रत्येक वोटर के खाते में डाली जानी चाहिए। ऐसा करने से भूख तथा कुपोषण से किसी को अपनी जान से हाथ नहीं धोना पड़ेगा।
हमारे राजनेताओं को इस सच्चाई को समझना चाहिए कि देश का असली मालिक वोटर होता है। भारत सरकार के खजाने से पैसा वर्तमान में गांव के प्रधान तक तो पहुंच रहा है। साथ ही अनेक योजनाओं के माध्यम से सीधे पैसा लाभार्थी के खाते में डाला जा रहा है। लेकिन यह ऊँट को मुँह में जीरे के समान है। बिना अमीर-गरीब का भेदभाव किये वोटरशिप के माध्यम से पैसा प्रत्येक वोटर को देना चाहिए। वोटरशिप को वोटर के अधिकार अर्थात स्वाभिमान से जोड़कर देखना चाहिए। इसके पीछे भाव यह होना चाहिए कि देश का असली मालिक अपने हिस्से की आधी रकम मांग रहा है। वोटर अपने आधी रकम देश के विकास के लिए स्वेच्छा से छोड़ेगा। जैसे बस का मालिक बिना काम किये शाम को ड्राइवर से दिन भर की कमाई मांगने का हक रखता है। ड्राइवर यह नहीं कहता है कि आपको बिना काम के बस की कमाई क्यों दी जाये? देश के असली मालिक वोटर को वोटरशिप की रकम देने के लिए काम करने की शर्त नहीं लगानी चाहिए। यह छात्र को मिलने वाली छात्रवृत्ति की तरह है। जो कि वोटर को सरकार बनाने की वोटरशिप फीस की तरह है।
मेरी राष्ट्रीयता वसुधैव कुटुम्बकम् तथा जय जगत की प्रबल समर्थक है। मेरा राष्ट्र प्रेम पूरे विश्व को एक देश की तरह देखता है। इसलिए मेरे लिए लड़ने के लिए कोई देश नहीं है। भारत को यूरोपियन यूनियन से सबक लेकर शीघ्र पहले चरण में दक्षिण एशियाई देशों की एक सरकार बनानी चाहिए। साथ ही इन देशों के बीच युद्धों तथा शस्त्रों की होड़ से बचे पैसे से प्रत्येक वोटर को वोटरशिप के रूप में पन्द्रह हजार रूपये प्रतिमाह देना चाहिए। दूसरे चरण में दक्षिण-उत्तर एशियाई सरकार बनाकर इस वोटरशिप धनराशि को पच्चीस हजार प्रतिमाह करना चाहिए। अन्तिम तीसरे चरण में विश्व सरकार बनाकर प्रत्येक वोटर को वोटरशिप के रूप में चालीस हजार रूपये देना चाहिए। राजनीतिक आजादी के साथ आर्थिक आजादी लाना ही असली लोकतंत्र है। ऐसा करके हम विश्व बचत दिवस शत प्रतिशत सफल बना सकेंगे।
-प्रदीप कुमार सिंह, लेखक
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