अमृत का गंगाजल
एक संत थे। उन्होंने अपने चार शिष्यों को बुलाकर कहा देश की पवित्र नदियों का जल लेकर आओ। चारों शिष्य अलग-अलग दिशाओं में नदियों का जल लेने के लिए चल दिए।
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थोडे दिनों बाद लौटकर शिष्यों ने गुरूजी के सामने अलग-अलग नदियों का जल रखा। पहले शिष्य ने कहा यह यमुना का जल है।
दूसरे शिष्य ने कहा यह गोदावरी नदी का जल है। तीसरे शिष्य ने कहा यह कावेरी का जल है। सभी की बात सुनकर गुरूजी ने कहा तुम चारों में से कोई गंगा नदी का जल तो लाया ही नहीं? एक प्रतिभावना शिष्य ने विनम्रतापूर्वक जवाब दिया गुरूजी, आने तो पवित्र नदियों का जल मंगाया। गंगाजल तो अमृत हैं।
यदि आप अमृत मंगाने के लिए कहते, तो मैं गंगाजल लातां शिष्य की बात सुनकर गुरूजी गदगद हो गए।