भूखे कुत्तों की मुर्खता
कुत्तों के एक दल को कई दिनों तक कुछ भी खाने को नहीं मिला| भूखे कुत्ते भोजन की खोज में इधर-उधर भटकते रहे| भूख से उनकी हालत दयनीय हो गयी थी| अंत में वे एक तालाब के पास पहुँचे, जिसके तल में चमड़ा फुलाया गया था| चमड़े को निकालने का उन्होंने अनथक प्रयास किया, मगर वे सफल न हुए|
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फिर सब मंत्रणा के लिए एकत्रित हुए, चमड़े तक पहुँचने का उपाय सोचा और तय किया कि तालाब का सारा जल पी लिया जाये| वे जल पिने लगे| उन्हें भ्रम होता था कि जल कम हो रहा है, मगर कुछ कुत्तों के चाटने से तालाब के जल में कुछ भी फर्क नहीं पड़ता|
वे जल पीते रहे| अपनी औकात से उन्होंने कई-कई गुणा जल पि लिया| परिणाम स्वरूप कुछ का पेट फट गया, कुछ बीमार पड़ गये, कुछ जल से बाहर निकल नहीं पायें और इस तरह सभी कुत्ते मर गये|
इसलिए कर्म करने से पूर्व सोच विचार कर लेना चाहिए कि उस कर्म के क्या परिणाम होने वाले हैं|