06 – भाई भाई की लड़ाई | Bhai Bhai ki Ladayi | Tilismi Kahaniya
उस समय लव के नेत्रों का रंग बिल्कुल परिवर्तित हो चुका था, उसके नेत्र देखने में बिल्कुल नीले रंग के दिखाई दे रहे थे। उसे देखकर साफ जान पड़ रहा था कि किसी ने उसे वश में किया है।
लव (चिल्लाकर): “छोडूंगा नहीं तुझे!”
करण (गुस्से में उसे रोकते हुए): “होश में आओ लव! तुम्हें दिखाई नहीं देता हम सब तुम्हारे मित्र हैं, तुम यह क्या कर रहे हो?”
सभी लोग लव का सामना करने लगते हैं और उस को चिड़िया से दूर रखने का प्रयास करते हैं क्योंकि वह तो चिड़िया को मारने के लिए व्याकुल था।
जयदेव लव की आंखों में देखता है और समझ जाता है कि कुछ गड़बड़ है।
जयदेव: “करण इसकी नेत्रों को देखो! इसके नेत्र बिल्कुल उसी व्यक्ति के नेत्रों के समान दिख रहें है जो व्यक्ति उस दिन हम पर हमला कर रहा था!”
विदुषी (डरते हुए): “हां जयदेव, तुम बिल्कुल सत्य कहते हो, मैंने भी उस व्यक्ति के नेत्र देखेंथे जो बिल्कुल नीली रंग के थे!”
टॉबी: “हाँ, विदुषी सही कह रही है, इसे कमरे मे बंद कर दो!”
विदुषी: “अरे! टॉबी भी बोलने लगे गया। लगता है चिड़िया ने उसे जादुई शक्ति दे दी है।”
करण: “हां! अभी ना जाने और क्या क्या देखना बाकी है।”
अब करण समझ जाता है कि वाकई में लव को किसी ने वश में किया हुआ है। भाग्यवश उस समय घर में उसकी मां नहीं थी नहीं तो ना जाने लव उनके साथ क्या कर देता।
लव उस चिड़िया को पकड़ने के लिए बार-बार सभी पर हमला करने लगता है इसी बीच उसके जुड़वा भाई कुश को भी चोट लग जाती है। टॉबी भौक- भौककर लव को सबसे दूर रखने की कोशिश करता है।
टॉबी (चिलाते हुए): “कुछ करो करण अब ! जल्दी, यह काबू में नहीं आ रहा है!”
और अब ना चाहते हुए भी करण को उसे एक कमरे में बंद करके ताला लगाना ही पड़ता हैं।
सुनहरी चिड़िया: “करण जल्दी करो हमारे पास समय बहुत कम है, हमें उस आदमी के पास जाना होगा, वहां पर तुम्हे तुम्हारे सारे प्रश्नों के जवाब मिल जाएंगे!”
करण: “ठीक है रानी चंदा, हम लोग अभी के अभी चलते हैं! लेकिन हमें जल्दी आना होगा क्योंकि मेरी मां का आने का समय भी हो गया है। कहीं लव उन्हें चोट ना पहुंचाएं!”
कुश: “यह कैसे संभव है? टॉबी बोलने क्यों लग गया।”
करण (चौकते हुए): “सुनहरी चिड़िया बताओ, आखिर मेरा पालतू पशु बोल कैसे सकता है? ये तुम्हारा ही जादू है ना”
सुनहरी चिड़िया: “हां यह सब मेरे कारण से ही हो रहा है, तुम सभी को सारी बातें पता चल जाएंगी परन्तु पहले हम यहां से निकलते हैं और उस आदमी से मिलते हैं।”
जयदेव: “हाँ, जल्दी चलो सभी लोग! टॉबी को भी ले चलते हैं यहां से!”
तो वो चिड़िया सभी का मार्गदर्शन करती है और सभी को उस आदमी के पास ले जाती है। वह आदमी उस सुनहरी नीली चिड़िया को देखकर काफी प्रसन्न हो जाता है।
आदमी: “तो आखिर तुम्हें वह लड़का मिल ही गया!”
नीली चिड़िया: “हाँ, गुरूजी, अब आप बताइए कि हमें आगे क्या करना है?”
अभी वहां आदमी करण के पास जाता है।
गुरुजी: “बेटा मैं तुम्हें यह बताना चाहता हूं कि तुम्हारा यह जन्म किसी खास कार्य के लिए हुआ है और वह कार्य है राजकुमारी चंदा को इस भयंकर शाप से मुक्त कराना। मुझे तुम्हारे मित्र लव के बारे में सब कुछ पता है कि वह किस प्रकार से अपना आपा खो बैठा है लेकिन आप सभी को यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह सब कार्य उसी जादूगर का है। और करण तुम्हारा यह पालतू पशु इसलिए वार्ता कर पाने में संभव है क्यूंकि राजकुमारी चंदा भी एक जादुई चिड़िया है।”
इसके बाद गुरुजी सभी लोगों को एक माला देते हैं जिसमे ओम बना होता है वह बोलते हैं कि यह माला उन्हें हमेशा पहन कर रखनी है क्योंकि यह उन्हें उस जादूगर के जादू से सुरक्षित रखेगा।
गुरुजी: “लेकिन मैं ये भी बता दूं कि सिर्फ माला से ही सब कुछ नहीं होगा अपितु तुम्हे भी प्रत्येक कदम पर सचेत रहना होगा और अपने कार्य को संपूर्ण करने के लिए अपना मनोबल बनाय रखना होगा।”
विदुषी: “गुरूजी, हम लोग पूरी कोशिश करेंगे कि जल्द ही राजकुमारी चंदा अपने पुराने रूप में आ जाए।”
गुरुजी उस समय करण को और उसके मित्रों को बहुत सारी बातें बताते हैं कि उन्हें क्या क्या करना है और क्या क्या नहीं करना है। साथ ही साथ उन्होंने सुनहरी नीली चिड़िया के बारे में भी सभी को बहुत कुछ बताया जो हमें आगे पता चलेगा।
गुरु जी: “बेटा! इसके लिए सबसे पहले करण को अपने उस जन्म के बारे मै जानना होगा! तभी वो सुनिश्चित कर पायेगा कि आगे कैसे बढ़ना है।”
इतना कहने के बाद गुरुजी करण को अपने पास बुलाते हैं और एक मंत्र फूंक कर उसके शीर्ष पर हाथ रखते हैं। तो जैसे ही गुरुजी करण के शीर्ष मे अपना हाथ रखते हैं वैसे ही उसको उस जन्म की कुछ झलकियां दृश्य होने लगती है।
उसे दिखता है कि वह किस प्रकार राजा रंजीत के राज्य के काम में भली प्रकार से हाथ बटाया करता था और अपने पिता से कलाबाजी भी सीखा करता था। उसके पिताजी तलवार के महान कलाबाज थे और वह अपने पुत्र को अपने जैसा एक बलवान व्यक्ति बनाना चाहते थे।
राजकुमारी चंदा के पिता करण के पिता पर अत्यधिक विश्वास किया करते थे और यही एक वजह है कि महाराजा रंजीत ने उनके बेटे अर्थात करण को इस कार्य के लिए चयनित किया था और करण सहमत हो गया था।
उस समय करण का नाम चंद्रभान था और उसने प्रण लिया था कि वह हजार साल बाद जन्म लेकर राजकुमारी चंदा को जादूगर के श्राप से मुक्त करवाएगा।
आगे वह ये भी देखता है कि किस तरीके से जादूगर ने अपने जादुई शक्तियों के द्वारा महाराजा रंजीत के महल को धीरे-धीरे तबाह कर दिया था।
कुछ ही सालों के अंदर राजकुमारी चंदा का परिवार का सर्वनाश हो गया था और वही राजकुमारी चंदा ये सब बस देखती रह गई, वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पाई। यह सब दृश्य देखकर तो करण के नेत्रों में अश्रु आ जाते हैं।
वह जादूगर तो बस राजकुमारी चंदा को दुखी देखना चाहता था और वह इस काम में कामयाब भी हो गया था। लेकिन अब करण आ गया था वह जल्द ही उस जादूगर का खेल खत्म करने वाला था।
करण (सुनहरी चिड़िया की ओर देखते हुए): “आप चिंता मत करिए राजकुमारी चंदा, जल्द ही इंसाफ होगा!”
तभी करण को याद आता है कि वह लव को अपने कमरे में बंद करके आया हुआ है और उसको अपनी मां की चिंता सताने लगती है। वह शीघ्र ही गुरुजी से जाने की आज्ञा लेता है और सभी के साथ वहां से चला जाता है।
तो अगले एपिसोड में देखेंगे कि आगे क्या होता है!