Homeआध्यात्मिक न्यूज़मनुष्य की आत्मा ज्ञान स्वरूप एवं न्याय स्वरूप है

मनुष्य की आत्मा ज्ञान स्वरूप एवं न्याय स्वरूप है

मनुष्य की आत्मा ज्ञान स्वरूप एवं न्याय स्वरूप है

लखनऊ, 19 मई। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर ऑडिटोरियम में आयोजित ‘विश्व-एकता सत्संग’ में बोलते हुए प्रख्यात शिक्षाविद्, सी.एम.एस. की संस्थापिका-निदेशिका एवं बहाई अनुयायी डा. भारती गाँधी ने कहा कि मनुष्य की आत्मा ज्ञान स्वरूप एवं न्याय स्वरूप है। मनुष्य का आत्मिक उत्थान परमपिता परमेश्वर के मार्गदर्शन पर आधारित है परन्तु इसके लिए विनम्रता का मार्ग अपनाना आवश्यक है। डा. गाँधी ने आगे कहा कि प्रभु के सभी अवतारों ने मानवजाति को प्रेम, भाईचारा, दयालुता, सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया है। सभी अवतारों का एक ही संदेश रहा है कि मानव जाति एक है, धर्म एक है, अतः हम सभी मिलकर विश्व में एकता, शान्ति व भाईचारे का वतावरण बनाये जिससे विश्व मानवता शान्ति से रह सके और फलती-फूलती रहे। इससे पहले, डा. गाँधी ने दीप प्रज्वलित कर विश्व एकता संत्संग का विधिवत् शुभारम्भ किया जबकि सी.एम.एस. के संगीत शिक्षकों ने सुमधुर गीतों व भजनों का समाँ बाँधकर सत्संग प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर विभिन्न धर्मावलम्बियों ने भी सारगर्भित विचार रखे। सत्संग का समापन संयोजिका श्रीमती वंदना गौड़ द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।

 

(हरि ओम शर्मा)
मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी
सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ

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