Homeपरमार्थी साखियाँभजन-सुमिरन का महत्व

भजन-सुमिरन का महत्व

जब राजा जनक स्थूल शरीर को त्यागकर अपने धाम की ओर जा रहे थे, रास्ते में क्या देखते हैं कि नरकों में जीव चल रहे हैं और चीख़-पुकार कर रहे हैं| उन्होंने पहले यमदूतों से पूछा कि इन्हें यातनाएँ क्यों दी जा रही हैं? कोई जवाब न पाकर धर्मराज से पूछा कि इनका छुटकारा कैसे हो सकता है? धर्मराज ने कहा कि अगर कोई महात्मा अपने नाम की कमाई दे तो आज़ाद हो सकते हैं| राजा जनक ने वहाँ ढाई घड़ी के तप का फल दिया और तब वह जीव नरक से आज़ाद हो कर मृत्युलोक में आ गये और उन्हें मनुष्य-जन्म मिला|

जो गुरु का भक्त है वह चाहे कैसा भी है, लेकिन गुरु उसे नरकों में नहीं जाने देता| (महाराज सावन सिंह)

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