हम मतवाले हैं चले साँई के देस
हम मतवाले हैं चले साँई के देस – 2
जहाँ सभी को चैन मिलेगा कभी न लागे ठेस
हम मतवाले हैं चले साँई के देस
फूल सी धरती बनती जाए एक पिघलता लावा
पहन रही है पगली दुनिया अग्नि का पहरावा
जाने अभी ये बन्दे तेरे बदलें कितने भेस
हम मतवाले……………
देखो अपनी हर मुश्किल है आज समस्या उसकी
चलो चलें चरणों में सोकर करें तपस्या उसकी
किस सपने में कब मिल जाए प्रेम भरा संदेस
हम मतवाले………………
हमें न है कुछ फ़िक्र आजकी न अँदेसा कलका
मनका -मनका जपते कर लिया मनका बोझा हलका
दो दिन की बहरूपी दुनिया असल में है परदेस
हम मतवाले हैं चले साँई के देस
हम मतवाले………………
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