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तभी नील उन सब के पास जाता है और एक एक को सूँघता है। और तुरंत ही करण के सारे मित्रों को वापस होश में ले आता है। करण- "वाह! ये सभा तो वापस होश में आ गए।आपका बहुत बहुत धन्यवाद!" नील- " मुझे अपने किये पर बहुत

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चिड़िया- " कविता तुम ने हमारी जितनी सहायता की है , हम उस के लिए शुक्रिया अदा भी नहीं कर पा रहे हैं!" कविता- " अरे राजकुमारी जी,आप मेरी सखी हैं जिस तरह से आप ने हमारी सहायता की थी उसी प्रकार हम ने भी आप

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उत्तम सिंह- "मधु! कोई लाभ नहीं हुआ इतना कुछ करने का!" हेमलता (उत्तम सिंह से)- " मुझे माफ कर देना उत्तम,,, मैंने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया,,,, मैंने अपने जादू से ही तुम्हारे महल के कुछ लोगों को अपने जाल में फंसाया और उन से यह काम

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बुलबुल- " करण! कर्मजीत! तुम ने मेरी जान बचाई है। बहुत-बहुत शुक्रिया!" करण- " अरे इस में शुक्रिया अदा करने की क्या आवश्यकता है। कर्मजीत- "बिल्कुल! तुम तो हमारी मित्र हो,,,, और हर एक मित्र का फर्ज होता है कि वह अपने दूसरे मित्र की हमेशा सहायता करें!" वधिराज- "

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बालक- "मित्रों आप सभी परेशान ना होना,,, बुलबुल जल्द ही ठीक हो जाएंगी,,,, क्यूंकि मेरे एक खास बाबा है जो इस में हमारी सहायता कर पाएंगे!" चिड़िया- " अच्छा तो फिर ठीक है। चलो उन के पास!" बालक (अपने माता-पिता से)- " पिता जी,, आप बुलबुल का ध्यान

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सुनहरी चिड़िया- " कविता तुम ने तो बिल्कुल कमाल ही कर दिया, तुम ने कितनी आसानी से उस खतरनाक आदमी से हम लोगों को छुटकारा दिलवा दिया!" शुगर- " बिल्कुल सही कह रही हैं आप राजकुमारी जी, रानी कविता जी ने तो आज एकदम कमाल ही

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सभी लोगों ने काफी देर तक खुशी मनाई और थोड़ी देर बाद सब थक गए थे। करण- " तो रानी कविता अब हमें यहां से जाना होगा क्योंकि हमें एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करना है!" सुनहरी चिड़िया- " हां कविता, अब हम सब को

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घाव ठीक होने से राजा काफी खुश हो जाता है। राजा (मुस्कुरा कर)- "आरा ओरु जोरों रो आरा आ आ!" करण- " राजा कह रहे हैं कि उन के पैर की चोट काफी पुरानी थी जिस पर कोई भी दवा असर नहीं कर रही थी लेकिन हम

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सब लोग टॉबी की आवाज आने से खुश थर। टॉबी (घूमते हुए)- "वाह ! मैं तो बहुत खुश हूं, मै ठीक हो गया!" शुगर- "हाँ टॉबी,! मैं भी बहुत खुश हूं " करमजीत- " दादी मां अब हम चलते हैं. हमें एक महत्वपूर्ण कार्य को पूर्ण करने के

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तो अब मगन सुधर चुका है और उसे अपनी गलती का एहसास हो चुका है. वह अप्सरा और उस के माता-पिता से माफी मांगता है । अप्सरा के पिता- "मगन,,,,बेटा तू हमारे बेटे जैसा ही है,, इसलिए हम ने तुझे माफ किया!" अप्सरा- "हाँ,,,, मगन,,,, तुम चिंता मत

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