कबीर साहिब और रानी इन्दुमती
रानी इन्दुमती, काशी में कपड़ा बुनकर अपनी जीविका कमानेवाले सन्त कबीर की अनन्य भक्त थी| जब कबीर साहिब रानी इन्दुमती को सचखण्ड ले गये तो उसने देखा कि वहाँ भी वही कबीर साहिब कुल-मालिक हैं|
रानी इन्दुमती, काशी में कपड़ा बुनकर अपनी जीविका कमानेवाले सन्त कबीर की अनन्य भक्त थी| जब कबीर साहिब रानी इन्दुमती को सचखण्ड ले गये तो उसने देखा कि वहाँ भी वही कबीर साहिब कुल-मालिक हैं|
एक बार राज भरथरी ने अपने महलों में एक सती की तारीफ़ की, जिसने अपने पति के साथ जलकर जान दे दी थी, क्योंकि उन दिनों भारत के कुछ भागों में सती प्रथा जारी थी|
एक बार का ज़िक्र है, एक साहूकार था जो अपने कारोबार में अन्य लोगों से बहुत भिन्न था| उसे एक पूरे गुरु की खोज थी जो उसे सत्य का ज्ञान दे सके|
एक बार बारिश के मौसम में कुछ साधु-महात्मा अचानक कबीर साहिब के घर आ गये|
जेलख़ाने में क़ैदियों की बुरी हालत देखकर एक परोपकारी आता है और यह सोचकर कि इनको ठण्डा पानी नहीं मिलता, दस-बीस बोरियाँ चीनी की लाकर और कुछ बर्फ़ मिलाकर ठण्डा शरबत पिलाकर उनको ख़ुश कर जाता है|
भृंगी के साथ एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है| कहा जाता है कि यह एक छोटे से बिल में अण्डा देती है| फिर यह अपने लार्वे के लिए कोई कीड़ा ढूँढ लाती हैं|
रामायण में आता है कि बाली ने तपस्या करके वर लिया था कि जो भी लड़ने के लिए उसके सामने आये, उसका आधा बल बाली में आ जाये|
एक बार किसी मुर्ख व्यापारी ने एक घोड़े पर एक तरफ़ दो मन गेहूँ लाद दिया तथा दूसरी ओर दो मन रेत डाल ली कि बोझ बराबर हो जाये और घोड़े को तकलीफ़ न हो|
दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति: जनार्दन:. दीपोहरतिमे पापम संध्यादीपम नामोस्तुते॥ ज्योतिषशास्त्र में ऐसी परंपराएं चली आ रही हैं, जिनके पीछे तात्त्विक व वैज्ञानिक रहस्य छिपा है।