ख़ुदा का महल
गुरु नानक साहिब जब काबा में जो मक्का शरीफ़ में है, काज़ी रुकनूद्दीन से मिले, तो उसने पूछा कि ख़ुदा का महल कैसा है? उसकी कितनी खिड़कियाँ हैं?
गुरु नानक साहिब जब काबा में जो मक्का शरीफ़ में है, काज़ी रुकनूद्दीन से मिले, तो उसने पूछा कि ख़ुदा का महल कैसा है? उसकी कितनी खिड़कियाँ हैं?
एक फ़क़ीर का ज़िक्र है| वह घोड़े पर बैठकर कहीं जा रहा था| उसका एक तालिब यानी शिष्य जंगल में उसकी याद में बैठा हुआ उसके दर्शनों के लिए तड़प रहा था|
जीवों को समझाने के लिए महात्माओं के अलग-अलग तरीक़े होते हैं| ज़िक्र है कि एक बादशाह का लड़का पढ़ाई से जी चुराता था, उसको कबूतर रखने का बहुत शौक़ था|
दिल्ली में नसीरुद्दीन महमूद एक मुसलमान बादशाह हुआ है| उसका नियम था कि ख़ज़ाने से अपने लिए कुछ ख़र्च न करना, बल्कि हक़ की कमाई से अपना गुज़ारा करना|
बुल्लेशाह सैयद थे| उनकी बिरादरी में किसी की शादी थी| बुल्लेशाह ने अपने पीर इनायत शाह की सेवा में अर्ज़ की, “हज़रत! हमारे घर शादी है, दर्शन देने की कृपा करो|” इनायत शाह की सेवा में एक अराईं लड़का रहता था, उन्होंने उसको भेज दिया|
एक बार गुरु नानक साहिब ने अपने सेवकों को मुर्दा खाने के लिए कहा| देखने में यह मुनासिब हुक्म नहीं था|
कबीर साहिब जुलाहा थे| राजा बीर सिंह राजपूत उनका सेवक था| उसका उनके साथ बहुत प्यार था|
एक बार एक विद्यार्थी अपनी बी. ए. की पढ़ाई पूरी करके अपने घर जा रहा था| रास्ते में उसे एक जाट ने पूछा कि कहाँ से आ रहे हो? उसने कह कि मैं विद्या प्राप्त करके आ रहा हूँ|
गुरु गोबिन्द सिंह जी के सत्संग में एक सीधा-सादा किसान चला आया और गुरु साहिब से कहने लगा कि मुझे कोई सेवा बख़्शो| उस ज़माने में मुग़लों से लड़ाइयाँ होती रहती थीं|
महात्मा बुद्ध के समय का ज़िक्र है कि एक चरवाहा भेड़-बकरियों का झुण्ड लेकर चला जा रहा था|