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बुल्लेशाह सैयद थे| उनकी बिरादरी में किसी की शादी थी| बुल्लेशाह ने अपने पीर इनायत शाह की सेवा में अर्ज़ की, “हज़रत! हमारे घर शादी है, दर्शन देने की कृपा करो|” इनायत शाह की सेवा में एक अराईं लड़का रहता था, उन्होंने उसको भेज दिया|

एक बार एक विद्यार्थी अपनी बी. ए. की पढ़ाई पूरी करके अपने घर जा रहा था| रास्ते में उसे एक जाट ने पूछा कि कहाँ से आ रहे हो? उसने कह कि मैं विद्या प्राप्त करके आ रहा हूँ|

गुरु गोबिन्द सिंह जी के सत्संग में एक सीधा-सादा किसान चला आया और गुरु साहिब से कहने लगा कि मुझे कोई सेवा बख़्शो| उस ज़माने में मुग़लों से लड़ाइयाँ होती रहती थीं|