भजन-सुमिरन का महत्व
जब राजा जनक स्थूल शरीर को त्यागकर अपने धाम की ओर जा रहे थे, रास्ते में क्या देखते हैं कि नरकों में जीव चल रहे हैं और चीख़-पुकार कर रहे हैं|
जब राजा जनक स्थूल शरीर को त्यागकर अपने धाम की ओर जा रहे थे, रास्ते में क्या देखते हैं कि नरकों में जीव चल रहे हैं और चीख़-पुकार कर रहे हैं|
गुरु गोबिन्द सिंह जी का दरबार लगा हुआ था| सिक्खी का मज़मून चल रहा था| गुरु साहिब ने कहा कि गुरु का शिष्य कोई-कोई है, बाक़ी सब अपने मन के ग़ुलाम हैं या स्त्री और बच्चों के ग़ुलाम हैं|
ज़िक्र है कि मुसलमानों की हुकूमत के दिनों में एक ऐसा समय आया जब गुरु गोबिन्द सिंह जी को मजबूरन आनन्दपुर छोड़ना पड़ा|
शेख शिबली के पास दो आदमी बैअत होने (नाम लेने) के लिए आये| आपने अन्तर्दृष्टि से देखा कि उनमें से एक अधिकारी है और एक अनाधिकारी|
एक बार का ज़िक्र है, गुरु नानक साहिब के पास आपके बड़े लड़के श्री चन्द जी बैठे थे| आधी रात का समय था|
जब हज़रत जुनैद बग़दादी काबा को जा रहा था तो उसने रास्ते में एक कुत्ते को देखा, जो ज़ख्मी हालत में पड़ा था|
जब गुरु गोबिन्द सिंह साहिब पहली बार मालवा गये, वह उजाड़ इलाक़ा था, बारिश की कमी के कारण वहाँ गेहूँ नहीं होता था, जौ और चने होते थे|
भागवत में एक कथा आती है कि एक बीमार और कमज़ोर बकरी अपने घर से भटककर दूर किसी घने जंगल में चली गयी|
एक बार धृतराष्ट्र ने भगवान् कृष्ण से पूछा कि मैं अन्धा क्यों हूँ| मुझे पिछले सौ जन्मों की तो ख़बर है| इन सौ जन्मों में मैंने ऐसा कर्म नहीं किया जिसके कारण मैं जन्म से अन्धा हूँ|