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एक बार एक भेड़िया किसी जंगली कुत्ते से युद्ध करते समय बुरी तरह घायल हो गया| वह इतना घायल था कि उसके लिए चलना-फिरना भी दूभर था| वह एक झरने से कुछ दूरी पर लेटा दर्द से कराह रहा था|

एक बार एक किसान ने पक्षियों को पकड़ने के लिए अपने खेत में जाल बिछाया| जाल में बहुत से पक्षी फंसे| फंसे हुए पक्षियों में जंगली कौए तो थे ही, बेचारा एक कबूतर भी फंसा पड़ा था|

एक बार एक भेड़िया किसी पहाड़ी नदी में एक ऊंचे स्थान पर पानी पी रहा था| अचानक उसकी नजर नीचे एक भोले-भाले मेमने पर पड़ी, जो पानी पी रहा था| भेड़िया मेमने को देखकर अति प्रसन्न हुआ और सोचने लगा – ‘वर्षों बीत गए, मैंने किसी मेमने का मांस नहीं खाया| यह तो छोटी उम्र का है|

किसी जंगल में एक कौआ रहता था| पूरा जंगल तरह-तरह के रंगीन पक्षियों से भरा पड़ा था| मगर पूरे जंगल में एक यही कौआ था – बिल्कुल काला भुजंग| कौआ भी अपने काले रंग के प्रति बहुत सचेत रहता था| अपने काले रंग के कारण वह हीनभावना से ग्रस्त रहता था|

एक भेड़िया जब अपने शिकार को खा रहा था तो मांस की एक हड्डी उसके गले में फंस गई| भेड़िया दर्द से चिल्लाने लगा| गले का दर्द धीरे-धीरे बढ़ता गया और जब असहनीय हो गया तो भेड़िये को लगा कि वह मर जाएगा| उसे सांस लेने में भी कठिनाई हो रही थी|

किसी जंगल में एक सिंह, एक गधा और एक लोमड़ी रहते थे| तीनों में गहरी मित्रता थी| तीनों मिलकर जंगल में घूमते और शिकार करते| एक दिन वे तीनों शिकार पर निकले| उन तीनों में पहले से ही यह समझौता था कि मारे गए शिकार के तीन बराबर भाग किए जाएंगे|

एक बार एक उकाब किसी जंगल की ओर से उड़ता हुआ आया| उसक पंजों में एक काला सांप दबा हुआ था| उकाब एक बड़ी-सी चट्टान के ऊपर अपने पंख फड़फड़ा कर उड़ने लगा| कुछ देर बाद वह उसी चट्टान पर उतर गया ताकि वह सांप को एकान्त में निश्चिन्त होकर खा सके|

एक बार एक शहरी चूहा अपने गांव में रहने वाले अपने मित्र चूहे से भेंट करने गया| गांव का चूहा एक गरीब किसान के घर में रहता था| चूंकि शहर का चूहा गांव के चूहे का अतिथि था, इसलिए गांव के चूहे ने अपने मेहमान को स्वादिष्ट भोजन परोसने में कोई कसर न छोड़ी|