श्रावण मास माहात्म्य – अध्याय-22 (सर्वकाम-फलप्रद, संकट-हरण-व्रत)
भगवान शिव बोले – हे सनत्कुमार! श्रावण मास की शुक्ल-पक्ष की चतुर्थी तिथि को सब प्रकार के फलों को प्राप्त करनेवाला यह काम फलदायक संकटमोचन व्रत किया जाता है|
भगवान शिव बोले – हे सनत्कुमार! श्रावण मास की शुक्ल-पक्ष की चतुर्थी तिथि को सब प्रकार के फलों को प्राप्त करनेवाला यह काम फलदायक संकटमोचन व्रत किया जाता है|
सनत्कुमार ने पूछा-हे प्रभु! अब आप कृपा कर मुझे पूर्णमाही व्रत की विधि के बारे में विस्तार से बतलाएं इसका माहात्म्य जानने से सुनने वालों और श्रवण के इच्छुकों की चाह और बढ़ जाती है|
भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें त्रयोदशी व चतुर्दशी व्रत के सम्बन्ध में विस्तार से बताता हूँ|
भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! श्रावण मास में आने वाली दोनों एकादशियों के व्रत के लिये जो किया जाता है, वह मैं अब तुम्हें बतला रहा हूँ|
भगवान शिव बोले – हे सनत्कुमार श्रावण मास के शुक्ल-पक्ष की नवमी तिथि को यह व्रत शुरू करके अगले वर्ष के श्रावण महीने में अर्थात् बारह मास तक व्रत करके यह व्रत दशमी के दिन उद्यापन करके समाप्त करना चाहिए|
शिव बोले-हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें पवित्रारोपण के बारे में बतलाता हूँ| हे पुत्र! श्रावण मास में शुक्ल-पक्ष की सप्तमी को अधि वासन करके अगले दिन अष्टमी को पवित्रारोपण किया जाता है|
भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें शीतला सप्तमी व्रत के बारे में बताता हूँ जो शीघ्र फलदायी है|
सनत्कुमार बोले-हे महाप्रभु! मैं आपके श्रीमुख से नागपंचमी व्रत की कथा सुन चुका हूँ| हे देवाधिदेव! अब आपके श्रीमुख से षष्ठी व्रत के विषय में जानना चाहता हूँ|
भगवान शिव बोले-हे महाभाग सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें श्रावण मास में शुक्ल-पक्ष की पंचमी तिथि को किये जाने वाले नागपंचमी व्रत के बारे में बतलाता हूँ|
सनत्कुमार बोले हे प्रभु! वह कौनसा व्रत है जिससे अतुल्य सौभाग्य प्राप्त होता है तथा मनुष्य पुत्र-पौत्रादि, धन-ऐश्वर्यादि प्राप्त कर अनंतकाल तक सुखी रहता है|